Monday, October 7, 2024

Navarasa | नवरस : नौ रसों का इन्द्रधनुषी संसार

‘नवरस’ (Navarasa) वेब सीरीज़ मात्र एक सीरीज़ नही बल्कि तमिल फिल्म इंडस्ट्री की नेक भावना की एक मिसाल भी है | कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के कारण फ़िल्म उद्योग से जुड़े हजारों-लाखों कर्मचारियों और दिहाड़ी मजदूरों की रोज़ी-रोटी छिन गई थी | संकट के ऐसे समय में तमिल फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज कलाकार इनकी मदद के लिए सामने आए | निर्माता मणिरत्नम, जयेंद्र पंचपकेसन की अगुवाई में तमिल फिल्म उद्योग के लगभग सभी नामी कलाकारों ने इस प्रयास में अपना योगदान दिया | खास बात यह है कि सीरीज़ में काम करने के लिए इन्होंने कोई पारिश्रमिक भी नहीं लिया | तमिल कलाकारों के इस प्रयास को साधुवाद जिससे लगभग 11000 लोगों की सहायता होने की उम्मीद है |  

यह वेब सीरीज़ नौ रसों में सराबोर नौ कहानियों का संकलन है | हर कहानी की आवधि लगभग 30-40 मिनट की है | इन कहानियों का निर्देशन तमिल फिल्म जगत के चर्चित निर्देशकों ने किया है | 

किसी भी रचनात्मक कृति को पढ़कर, सुनकर या देखकर जो आनंद मिलता है, उसे ही रस कहते हैं | नाट्यशास्त्र के रचयिता भरतमुनि ने तीसरी शताब्दी में रसों को काव्य का अनिवार्य अंग बताया था | शास्त्रों के अनुसार रस नौ प्रकार के होते हैं – 1.करुण रस, 2.हास्य रस, 3.रौद्र रस, 4.वीर रस, 5.वीभत्स रस, 6.अद्भुत रस, 7.शांत रस, 8. भयानक रस तथा 9. श्रृंगार रस | तमिल फ़िल्म कलाकारों ने इन्हीं नौ रसों को अलग-अलग कहानियों में पिरो कर दर्शकों के लिए एक इन्द्रधनुषी दुनिया रची है | मूल रूप से तमिल भाषा में बनी यह सीरीज हिन्दी भाषा में भी उपलब्ध है | आइए अब एक-एक करके इन कहानियों पर बात करते हैं | 

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नवरस (Navarasa) एपिसोड 1 : एथिरी (करुण रस)

बिजॉय नम्बियार द्वारा निर्देशित कहानी एथिरी की शुरुआत तमिल के महान कवि तिरुवल्लुवर की पंक्ति के साथ होती है | जिसका अर्थ है –

‘यदि मिट्टी पेड़ को बांध कर और संभाल कर नहीं रख सकती तो वह मिट्टी निरर्थक है, उसी तरह जिस हृदय में दूसरों के प्रति करुणा और प्रेम नहीं वह हृदय निरर्थक है |’

कहानी के केंद्र में सावित्री (रेवती) नाम की महिला है जिसके पति की हत्या धीना (विजय सेतुपति) नाम का एक शख्स कर देता है | सब कुछ जानने के बाद भी सावित्री हत्यारे के बारे में पुलिस को कुछ नहीं बताती है | उधर हत्यारा धीना पुलिस के डर से अपनी दादी के घर छुपकर रहता है | धीना के पास सवित्री के पति को मारने के अपने तर्क हैं, बावजूद इसके उसकी आत्मा एक बोझ तले दबती चली जाती है | अंततः वह सावित्री से मिलने का निर्णय लेता है | सावित्री और धीना की इस मुलाकात में करुणा और अपराधबोध की कई परतें खुलती हैं |

एथिरी में रेवती का अभिनय देखने लायक है | वह बेहद कुशलता से अपने भीतरी तनावों, दुःख, परेशानियों को अभिव्यक्ति देती हैं | साथ ही प्रकाश राज और विजय सेतुपति ने भी अपने चरित्रों को बखूबी जिया है |  


नवरस (Navarasa) एपिसोड 2 : समर ऑफ़ 92 (हास्य रस)

यह कहानी वेलुस्वामी (योगी बाबू) की है जो प्रसिद्धी और सफलता के शिखर पर पहुँचने के बाद अपने स्कूल के एक कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किए जाते हैं | कार्यक्रम में वेलुस्वामी 9वीं कक्षा में चार बार फेल होने की कहानी मनोरंजक ढंग से सुनाते हैं | उन्हीं में से एक घटना टीचर लक्ष्मी (रम्या नाम्बिसन) से जुड़ी होती है, जिसके कारण टीचर की शादी नहीं हो पाती | 

प्रियदर्शन निर्देशित इस कहानी में योगी बाबू मुख्य भूमिका में हैं | ‘मंडेला’ फ़िल्म में योगी बाबू के जबरदस्त अभिनय की छाप दर्शकों में मन में हैं | समर ऑफ़ 92 में योगी बाबू का किरदार ज्यादातर फ़्लैश बैक में चलता है इसलिए यहाँ उनके करने के लिए कुछ खास नही था | 


नवरस (Navarasa) एपिसोड 3 : प्रोजेक्ट अग्नि (अद्भुत रस)

यह कहानी विलक्षण मेधा के धनी वैज्ञानिक विष्णु (अरविन्द स्वामी) की है | विष्णु की प्रतिभा इसरो जैसी संस्थाओं में बंध कर काम करने के लिए नही है | वह अपने वैज्ञानिक अनुसंधानों से चेतन – अवचेतन दुनिया के गहरे रहस्यों को जानता है | विष्णु के प्रयोग उसे ऐसी शक्तियां देते हैं जिससे उसके आस-पास की दुनिया और उसकी ज़िन्दगी हमेशा के लिए बदल जाती है |

इस कहानी में अरविन्द स्वामी के साथ प्रसन्ना और साईं सिद्धार्थ भी हैं | कार्तिक नरेन द्वारा निर्देशित प्रोजेक्ट अग्नि इस श्रृंखला की सबसे कमज़ोर कड़ी है | विष्णु की बातें एक वैज्ञानिक की बातें लगती ही नही हैं | कहानी में दिखाए गए प्रयोगशाला को देख कर तो हँसी आ जाती है |   


नवरस (Navarasa) एपिसोड 4 : पायसम (वीभत्स रस) 

‘भय आपके शरीर के लिए नुकसानदेह है, लेकिन घृणा आपकी आत्मा के लिए खतरा है |’ 

डयन एकर्मन की पंक्तियों के साथ पायसम कहानी की शुरुआत होती है | घृणा रस पर आधारित यह कहानी नवरस की सबसे अच्छी कहानी है | 

कहानी के केंद्र में सुब्बुरायण के चाचा हैं | सुब्बुरायण अपने इलाक़े के बेहद प्रभावशाली व्यक्ति हैं | पूरे गाँव के साथ चाचा के खुद के बच्चे भी सुब्बुरायण के आभामंडल से प्रभावित हैं | यही बात चाचा को कचोटती है | चाचा इसको लेकर अपने भीतर ही भीतर कुढ़ते रहते हैं | जबकि सुब्बुरायण का व्यवहार अपने चाचा के प्रति सम्मानजनक है | बावजूद इसके चाचा के अवचेतन मन की जटिलताएं उन्हें सामान्य नहीं रहने देती | ऐसे में चाचा सुब्बुरायण की बेटी की शादी में कुछ ऐसा कर बैठते हैं जिससे दर्शकों के मन में उस पात्र को लेकर घृणा और तरस का भाव एक साथ आता है | 

77 साल के एक जटिल मनोविज्ञान वाले वृद्ध की भूमिका में दिल्ली गणेश ने बेहतरीन काम किया है | यह कहानी तो केवल उनके अभिनय के लिए भी देखी जा सकती है | निर्देशक वसंत एस साई कहानी के माध्यम से देखने वालों के मन में वीभत्स रस को पैदा करने में सफल होते हैं | 


नवरस (Navarasa) एपिसोड 5 : शांति (शांत रस) 

कहानी की पृष्ठभूमि में श्रीलंकाई सेना और लिट्टे के बीच चलने वाली लड़ाई है | लिट्टे के चार लड़ाके अपने बंकर से मोर्चा संभाले हुए हैं | ऐसे में उनके पास एक बच्चा अपने भाई को ढूँढ़ते हुए आता है | बच्चे की बात सुन कर निलावन (बॉबी सिम्हा) की अपनी गुजरी ज़िन्दगी के कई ज़ख्म हरे हो जाते हैं और वह सारे जोखिम के बावजूद बच्चे के भाई को बचाने के लिए जाता है | 

लड़ाई के मोर्चे पर मानवीय संवेदना के बीज बोती यह कहानी अच्छी बनी लेकिन इस का अंत तार्किक नही लगता है | 

बॉबी सिम्हा निलावन के चरित्र में प्रभावी अभिनय करते दिखते हैं | इस कहानी का निर्देशन कार्तिक सुब्बाराज ने किया है |  


नवरस (Navarasa) एपिसोड 6 : रोद्रम (रौद्र रस)

जिस हृदय में गुस्से का ज़हर है, वह सबकुछ तबाह कर देता है | 

रौद्रम कहानी का आधार यह मूल भाव है | इसका निर्देशन अरविन्द स्वामी ने किया है, जिन्हें हिन्दी फिल्मों के दर्शक आज भी ‘रोज़ा’ और ‘बॉम्बे’ जैसी फिल्मों के नायक के तौर पर जानते हैं | अरविन्द स्वामी का निर्देशन में यह पहला प्रयास है और अपनी पहली कोशिश में वह भविष्य के लिये उम्मीद जगाते हैं | 

कहानी दूसरों के घर में कामकाज करने वाली माँ के बेटे आरुल (श्रीराम) और बेटी अम्बुकरासी (रिथ्विका/अभिनयश्री) की है | दोनों बच्चे अपने-अपने तरीके से गरीबी के बीहड़ थपेड़ों का सामना कर रहे होते हैं, फिर भी थोड़ी उम्मीद और थोड़े सपनों की नाज़ुक डोर थामे जीवन किसी तरह गुज़र रहा था | एक दिन वह डोर भी झटके से टूट जाती है | माँ जिस घर में काम करने जाती हैं, वहाँ दोनों बच्चों ने कुछ ऐसा देख लिया कि उनके जीवन में भयानक उथल-पुथल मच जाती है | जिसके बाद से आरुल और अम्बुकरासी का जीवन गुस्से की आग में झुलसने लगता है | 

निर्देशक ने कहानी को दिखाने के लिए एक रोचक तरीका चुना है जिसमें दो अलग -अलग समय में चलती कहानी दर्शकों को एक ही समय में चलती लगती है | 


नवरस (Navarasa) एपिसोड 7 : इनमाई (भयनाक रस)

यह वही कहानी है जिसके पोस्टर को लेकर काफी विवाद उठा था और कुछ लोगों के द्वारा ट्विटर पर ‘बैन नेटफ्लिक्स’ अभियान छेड़ दिया गया था |

कहानी के दो प्रमुख पात्र वहीदा (पार्वती थिरुवोथू) और फ़ारुक (सिद्धार्थ) हैं | वहीदा एक बेहद आलीशान जीवन बिता रही है | लेकिन उसकी गुज़री ज़िन्दगी के कुछ ऐसे स्याह पन्ने हैं जिन्हें वह खुद से भी छुपा कर रखना चाहती है | ऐसे में एक दिन फ़ारुक नाम का एक व्यक्ति, वहीदा के सामने उसके अतीत का आईना बनकर आता है | फ़ारुक के साथ हुई बातों से वहीदा के मन में दबे स्याह पन्ने खुलने लगते हैं | जिससे घबराकर वहीदा एक ऐसा कदम उठाती है, जो उसके भीतरी बिखराव को उजागर करता है | 

इस कहानी में संगीत विशाल भरद्वाज ने दिया है | सिद्धार्थ और पार्वती दोनों ने ही अच्छा काम किया है | निर्देशन रथिन्द्रन आर प्रसाद ने किया है |


नवरस (Navarasa) एपिसोड 8 : थुनिंथा पिन (वीर रस)

नक्सल प्रभावित इलाके में आर्मी की एक टुकड़ी के साथ वेत्री (अथर्व) भी जाता है | ट्रेनिंग के बाद किसी अभियान पर जाने का वेत्री का यह पहला अनुभव है | मुठभेड़ में आर्मी के कई जवान घायल हो जाते हैं, तो कई मारे जाते हैं | मुठभेड़ के दौरान पकड़े गए घायल नक्सली लीडर को हेड क्वार्टर पहुँचाने की जिम्मेदारी वेत्री के कन्धों पर आती है | पूरे सफ़र में वेत्री अपने भीतर आशंकाओं, भयों और दायित्वबोध के बीच झूलता रहता है | 

सरजुन के एम द्वारा निर्देशित यह कहानी ‘नवरस’ श्रृंखला की एक कमज़ोर कड़ी है | अभिनय की बात करें तो वेत्री की भूमिका में अथर्व चूकते हुए नज़र आते है, जबकि किशोर नक्सल लीडर का चरित्र अच्छे से निभा गए हैं |   


नवरस (Navarasa) एपिसोड 9 : गिटार काम्बी मेले निंद्रू (श्रृंगार रस)

श्रृंगार रस पर आधारित इस कहानी में तमिल फिल्मों के स्टार सूर्या कमल नाम के संगीतकार और गायक की भूमिका में नज़र आते हैं | कमल पश्चिमी संगीत में काम करने और आकाश की ऊँचाइयों को छूने के सपने देखता है | अपने सपनों को पूरा करने के लिए कमल जब इंग्लैंड जाने वाला होता है, तभी उसकी ज़िन्दगी में नेत्रा का प्रवेश होता है | नेत्रा की भूमिका प्रज्ञा मार्टिन ने निभाई है | नेत्रा और कमल दोनों पहली मुलाकात में ही एक दूसरे के लिए बेहद खास महसूस करते हैं | नेत्रा कमल के संगीत में एक नई स्फूर्ति, नया जीवन लेकर आती है | कहानी का अंत प्रेम की एक नई व्याख्या के साथ होता है |

‘गिटार काम्बी मेले निंद्रू’ कहानी के स्तर पर कमज़ोर है | इसमें कुछ नयापन नहीं है | भाषा की सीमा के बावजूद कार्तिक के गीत सुनने में अच्छे लगते हैं |  

ए आर रहमान के संगीत और भरतबाला के कल्पनाशील फिल्मांकन से ‘नवरस’ का टाइटल ट्रैक शानदार बन पड़ा है | 

अंत में मद्रास टॉकीज, कुबे सिनेमा टेक्नोलॉजीज़ का यह मैराथन प्रयास कुछ कमियों के रहते हुए भी सराहनीय कहा जा सकता है | नौ रसों में पगी ‘नवरस’ की कहानियां आपको एक साथ कई भावों की झाँकी दिखाती हैं | 


6 अगस्त को रिलीज़ हुई ‘नवरस’ को आप को नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं |

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Suman Lata
Suman Lata
Suman Lata completed her L.L.B. from Allahabad University. She developed an interest in art and literature and got involved in various artistic activities. Suman believes in the idea that art is meant for society. She is actively writing articles and literary pieces for different platforms. She has been working as a freelance translator for the last 6 years. She was previously associated with theatre arts.

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