Friday, April 26, 2024

‘Human’ Review : इंसानों के जानवर और गिनी पिग में बदलने की कहानी

3 दिसम्बर 1984 को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल एक भयावह त्रासदी का शिकार हुई, जिसके जख्म आज तक भर नहीं पाए हैं| इस त्रासदी को दुनिया भोपाल गैस कांड के तौर पर जानती है| डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर हाल ही में स्ट्रीम हुई वेब सीरीज़ ‘Human’ की कहानी भोपाल शहर में, गैसकाण्ड से उपजी मानसिक यन्त्रणाओं की पृष्ठभूमि में घटती है| 

भारत की फार्मा इंडस्ट्री विश्व का तीसरा सबसे बड़ा दवा उद्योग है| अरबों-खरबों की इस व्यापरिक दुनिया में वर्चस्व की होड़ लगी रहती है| दवा निर्माता कंपनियाँ अक्सर नियम कानून को ताक पर रख कर ज्यादा से जायद मुनाफ़ा कमाने की फ़िराक में रहती हैं| इस काले खेल में नामीगिरामी डॉक्टरों, बड़े अस्पतालों और राजनीतिक खिलाड़ियों की बराबर भागीदार होती है| वेब सीरीज़ ‘Human’ में फार्मा और मेडिकल दुनिया के इन्हीं स्याह पहलुओं को दिखाने की कोशिश करती है| 


Summary of ‘Human’ 

‘मंथन’ भोपाल शहर का जाना-माना मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल है जिसकी कर्ताधर्ता डॉक्टर गौरी नाथ (शेफाली छाया) हैं| डॉक्टर गौरी नाथ का बाहरी व्यक्तित्व जितना सफल और चमकदार दिखता है, आंतरिक जीवन उतना ही बिखरा हुआ और विषाक्त है| गरीब घर की गौरी का पूरा परिवार भोपाल गैस काण्ड में ख़त्म हो जाता है| शहर के एक डॉक्टर उस अनाथ बच्ची को अपनाते हैं, लेकिन उनके घरवालों की आँखों में गौरी हमेशा खटकती रही| घर के भीतर गौरी का शारीरिक शोषण भी हुआ| कदम दर कदम अपमान, तिरस्कार और आघातों को झेलने वाली उस लड़की ने अपने गुस्से को जुनून में बदल लिया और बड़ी होकर वह शहर की बेहद प्रतिष्ठित न्यूरोसर्जन बन जाती है| 

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गौरी, नौजवान कार्डियक सर्जन डॉक्टर सायरा सब्बरवाल (कीर्ति कुल्हारी) को अपने अस्पताल मंथन में लेकर आती है| समलैंगिक सायरा इतनी साहसी नहीं है कि वह अपनी लैंगिक पहचान को परिवार और समाज के सामने स्वीकार कर सके| इस वजह से उसका व्यक्तिगत जीवन बहुत उलझ हुआ है|    

‘वायु’ फर्मास्यूटिकल कंपनी और डॉक्टर गौरीनाथ की छद्म कम्पनी ‘एस्पायर’ मिलकर यूरोप में प्रतिबंधित एक दवा S93R का ट्रायल कर रहे थे, जिसे उन्होंने सर्वाइवर नाम दिया था| चूहों पर किये गए ट्रायल के नतीजों में मनमानी छेड़छाड़ के आधार पर अगले चरण के ट्रायल अर्थात् इंसानों पर किए जाने वाले परीक्षणों की अनुमति मिल गई| शुरूआती नतीजे अच्छे नहीं आने के बावजूद ट्रायल को ज़ारी रखा जाता है क्योंकि नुकसान में चल रही ‘वायु’ को बाज़ार में बने रहने के लिए किसी भी हालात में एक सफल दवा चाहिए थी| कहने की जरुरत नहीं है कि दोषपूर्ण ‘सर्वाइवर’ को सफल बनाने के लिए गरीब लोगों का इस्तेमाल गिनी पिग की तरह किया गया| किस्मत के मारे यह लोग महज कुछ रुपयों के लिए ट्रायल का हिस्सा बनने को तैयार हो जाते हैं| 

नौजवान मंगू (विशाल जेठा) ऐसे ही एक गरीब परिवार का लड़का था और शवगृह में काम करता है| उसे पता चलता है कि नई दवाओं के इंसानों पर होने वाले ट्रायल के लिए पैसे मिल रहे हैं तो वह बिना कुछ सोचे-समझे अपने माँ-बाप समेत कई लोगों को ट्रायल में शामिल कराता है| कुछ दिनों बाद उसकी माँ की तबियत बिगड़नी शुरू होती है| अंततः वह मर जाती है| परेशान मंगू को आरोग्य उदय नाम के एक NGO का साथ मिलता है| यह संस्था भोपाल गैस पीड़ितों को के लिए भी काम करती है| संस्था में काम करने वाला आसिफ मंगू को मुआवज़ा दिलाने का प्रयास करता है| 

इधर बीच डॉ. सायरा को मंथन में चल रही गड़बड़ियों का पता चलने लगता है| डॉक्टर गौरीनाथ सायरा को कभी प्रमोशन, तो कभी अपने प्रेम के बहाने सच्चाई की तह में जाने से रोक लेती थी| लेकिन जब कुछ लोग गलती से मंगू को मरने की जगह सायरा के पति की हत्या कर देते हैं, तो वह नए तरीके से ‘मंथन’ और डॉ. गौरीनाथ को देखना शुरू करती है| इस कोशिश में वह मंगू तक पहुँचती है| डॉ.सायरा, आसिफ और मंगू मिलकर डॉ. गौरीनाथ और उनके सहयोगियों की वास्तविकता सबके सामने लाते हैं| 


The Review

विषय रोचक होने के बावजूद वेब सीरीज़ ‘Human’ कोई खास असर नहीं छोड़ती है| उसकी वजह कहानी में गैरज़रूरी ढंग से कई सारी उपकहानियों (सबप्लाट) का होना है| डॉ. गौरीनाथ की बेहद करीबी रोमा माँ की देखरेख में 10 नर्सों पर होने वाला अजीबोगरीब परीक्षण, सायरा के पति नील और गौरी के बेटे अभय वाले ट्रैक को आराम से छोड़ा जा सकता था| 10 एपिसोड वाली इस वेब सीरीज़ की धीमी गति अखरती है| 

शेफाली शाह बेहद सक्षम अभिनेत्री हैं| उनका अभिनय ही ‘ह्यूमन’ का मुख्य आकर्षण है| शेफाली पहली बार एक जटिल नकारात्मक चरित्र में नज़र आई हैं| लगभग हर दृश्य में वह अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराती हैं| कीर्ति कुल्हारी और विशाल जेठा ने भी अपने किरदारों को बखूबी निभाया है|    

वेब सीरीज़ में ‘वायु’ फार्मा के अशोक वैद्य एक जगह कहते हैं कि कोविड वैक्सीन बनाने में फेल होने के कारण कंपनी को काफी नुकसान उठाना पड़ा| मंगू के पिता भी लॉकडाउन के बाद अपने टेम्पो के धंधे के चौपट हो जाने का जिक्र करते हैं| इन दोनों बातों से स्पष्ट होता है कि ‘ह्यूमन’ की कहानी कोविड महामारी के दौर की है, लेकिन पूरे सीरीज में एक भी व्यक्ति (यहाँ तक की अस्पताल में डॉक्टर तक) मास्क पहने नज़र नहीं आता| यह बेहद अजीब लगता है|

कोरोना महामारी के दौर में दवा के परीक्षण और मेडिकल पेशे से जुड़ी कहानी देखने का जो उत्साह ट्रेलर ने पैदा किया था ‘Human’ उस पर खरी नहीं उतरती है|  


विपुल अमृतलाल शाह और मोजेज़ सिंह द्वारा बनाई गई ‘Human’ वेब सीरीज़ को आप डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर देख सकते हैं|

Suman Lata
Suman Lata
Suman Lata completed her L.L.B. from Allahabad University. She developed an interest in art and literature and got involved in various artistic activities. Suman believes in the idea that art is meant for society. She is actively writing articles and literary pieces for different platforms. She has been working as a freelance translator for the last 6 years. She was previously associated with theatre arts.

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