Friday, April 26, 2024

फ़िल्म ‘Atrangi Re’ से हमें यह अतरंगी शिक्षा मिलती है?

तनु वेड्स मनु के दो भाग और रांझणा के निर्देशक हैं आनंद एल राय। इन तीनों फ़िल्मों से उन्होंने नाम दाम कमाया और बाद में इन्होंने ज़ीरो भी बनाया। शाहरुख खान जैसे सितारे के होते हुए भी इस फ़िल्म का मामला ज़ीरो ही निकला। अब वो पुनः रांझणा वाले धनुष की शरण में हैं और साथ हैं सारा अली खान और कमाऊपूत अक्षय कुमार। इस बार संगीतकार के रूप में जुड़े हैं ऑस्कर विजेता ए आर रहमान और ‘Atrangi Re’ ओटीटी प्लेटफॉर्म Disney+ Hotstar पर स्ट्रीम हो रही है। ‘Atrangi Re’ एक महान शिक्षाप्रद फ़िल्म है। इस फ़िल्म से हमें जो कुछ महानतम शिक्षा प्राप्त होती हैं, वो निम्न हैं :-

  1. ‘Atrangi Re’ की पटकथा लिखने के लिए पेन किलर का प्रयोग बेहद आवश्यक है शर्त केवल इतनी है कि वो पेनकिलर समाचार चैनल वाले चौरसिया पान भंडार से खरीदा गया हो और उसे काला, पीना, तीन सौ बीस ज़र्दा के साथ हरे पत्ते में लपेटर ग्रहण किया जाए और थुकियाते हुए किसी साउथ इंडिया सिनेमा का तड़का मारके पटकथा रच दिया जाए। 
  2. अगर कोई किसी प्रकार के मानसिक बीमारी से पीड़ित हो और यह पता चलने के बाद भी एक साइंस का विद्यार्थी होते हुए भी उसको साइकेट्रिक्स के पास ले जाने के बजाए उसके साथ उलजुल और फ़िजूल हरक़त करना चाहिए। गाना-नाचना चाहिए। इससे बीमारी का इलाज उतनी ही तेज़ी से होता है जितनी तेज़ी से बाबा बंगाली का जादू काम करता है।
  3. आपको एक ऐसे होस्टल में रहना चाहिए जहां पढ़ाई तो डॉक्टरी की हो रही हो लेकिन वहां के सारे के सारे विद्यार्थी भकचोंहर विद्या को ही अपना आदर्श मानते हों और उनका दिमाग और विज्ञान नामक दो कौड़ी की चीज़ से दूर-दूर तक कोई सम्बन्ध न हो। अच्छा होता कि एक जादू टोना का दृश्य भी होता लेकिन अफ़सोस है कि वो दृश्य फ़िलहाल ‘Atrangi Re’ में नहीं है।
  4. बिहार के सिवान नामक शहर में लड़की कई साल से बार बार किसी के साथ भागती है लेकिन किसी को नहीं पता कि वो आदमी कौन है। सिवान के स्टेशन पर सोडा का बोतल बिकता है जिसे लड़की फ़ेंक-फेंककर मारती है और आख़िरी बोतल को पीकर चिल करती है फिर घर आकर नानी से चप्पल की मार खाती है।
  5. सिवान में मोहम्मद शाहबुद्दीन और सारा अली खान के पिताश्री सैफ अली खान नहीं बल्कि सज़्ज़ाद अली खान रहते थे, जिनके साथ —– की हिन्दू अम्मी भाग गई थीं। सज़्ज़ाद अली खान साहब जादूगर थे और घोस्ट राइडर की तरह अपने देह में आग लगा लेते थे। उन्हें बैलून हाथ में लेकर और हाथी पर चढ़के इंट्री मारना पसंद था। सज़्ज़ाद मियां के देह में आग लगते ही कहानी फ्लैशबैक में डूब मरती है और फिर सबकुछ साफ-साफ हो जाता है। सारे भ्रम भड़ाम हो जाते हैं और रह जाती है केवल राख।
  6. ए आर रहमान साहब अभी भी म्यूज़िक कंपोज करते हैं या फिर वो जो कुछ भी कंपोज कर देते हैं उसे ही म्यूज़िक मान लिया जाता है। अब जिन्हें ऑस्कर मिला हो उनकी छींक भी सुरीली ही होगी ना!
  7. एक दोस्ती वाली पप्पी भी होती है, जो मदिरा की ख़ुमारी में दी जाती है और ‘Atrangi Re’ में एक दोस्त नामक चरित्र का होना भी एक अतिआवश्यक शर्त है ताकि सारी मूढ़ता उसके माथे पर मढ़ा जा सके।
  8. शादी चाहे जैसी भी हो, वो चाहे जबरन ही क्यों न हो; उसका सफल होना ज़रूरी है क्योंकि शादी ब्याह सब ऊपर तय होता है सात जन्मों के एक्सपाइरी डेट के साथ – कोई खेल थोड़े न है। जहां तक सवाल प्यार का है तो तीन चार बच्चा पैदा करते करते या तो यह हो जाता है या फिर इससे ध्यान ही उठ जाता है।
  9. भ्रम का इलाज भ्रम ही और भ्रम के द्वारा ही संभव है, लॉजिक और साइंस तो बस बच्चों के डाइपर बदलने के काम आता है।
  10. वर्तमान समय के महौलानुसार प्रेम कहानियों में हिन्दू-मुसलमान एंगल आना एक विशेष गुण है और जज का पंडित होना भी बेहद ज़रूरी शर्त है ताकि जज हज पर जाने के बजाए थोड़ी ज्योतिषी का काम भी कर ही ले लगे हाथ।
  11. प्रेमी पापा हो सकता है या फिर पापा प्रेमी हो सकता है।
  12. हिंदी सिनेमा देखने के लिए किसी भी इंसान के ऊपर का इलाका एकदम सफाचट होना एक अतिआवश्यक शर्त है।

फ़िलहाल यह दर्जनभर सीख काफ़ी है, जिनको और सीखना है वो सोमवार, मंगलवार और बृहस्पतिवार को इस फ़िल्म के दो शो (सुबह-शाम) चार महीने तक बिलानागा देखें – कृपा अवश्य ही पहुंचेगी। पाइरेटेड साइट्स से डाउनलोड करके देखने पर नुकसान होने का ख़तरा है, इसलिए सावधान! हां, जो भी लोग महान देशभक्त कनाडावासी श्री श्री कुमार जी की ‘Atrangi Re’ की तारीफ़ में क़सीदे पढ़ रहे हैं, असली समीक्षक उन्हें ही माना जाएगा बाक़ी सब भ्रम है!


‘Atrangi Re’ ओटीटी प्लेटफार्म Disney+ Hotstar पर देखी जा सकती है|

पुंज प्रकाश
पुंज प्रकाश
Punj Prakash is active in the field of Theater since 1994, as Actor, Director, Writer, and Acting Trainer. He is the founder member of Patna based theatre group Dastak. He did a specialization in the subject of Acting from NSD, NewDelhi, and worked in the Repertory of NSD as an Actor from 2007 to 2012.

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