Thursday, April 25, 2024

अनदेखी को अनदेखा न जाने दें – ज़रूर देखें

अचानक वेब सीरीज की बाढ़ सी आ गयी है… उनमें से क्या देखें, क्या न देखें… यह चुनना भी मुश्किल हो जाता है. लोग अक्सर किसी बड़े स्टार की मौजूदगी को ही तरजीह देते हैं. खैर, इस बीच सोनी लिव पर एक वेब सीरीज़ “अनदेखी” का ट्रेलर आया. पहली नज़र में ट्रेलर देखने पर ऐसा लगता है की ये भी उन तमाम, वेब सीरीज़ का ही हिस्सा होगी जो इस दौरान आ रही हैं. कुछ ख़ास अलग नहीं दिखता. कोई बड़ा स्टार भी नहीं दिखता, तो ये आपका ध्यान खींच नहीं पाती… पर यक़ीन मानिए इसमें कोई बड़ा स्टार हो या न हो, पर बड़े ही मंझे हुए अभिनेता ज़रूर हैं, जो की भारी पड़ते हैं, स्टार्स से भरी वेब सीरीज़ों पर.

अनदेखी की ख़ासियत, इसके अभिनेता के साथ-साथ उसकी राइटिंग भी है… कुछ दिनों पहले हुई एक घटना, जहाँ नशे में धुत एक व्यक्ति ने डांस कर रही, डांसर पर गोली चला, उसकी हत्या कर दी थी… उसी घटना को आधार बना मोहिंदर प्रताप सिंह जी ने, इस वेब सीरीज़ का कांसेप्ट डेवेलोप किया… जिसे तीन अन्य राइटर्स के साथ मिल कर “अनदेखी” का रूप दिया गया. अनदेखी में होने वाली साज़िशें और तनाव आपको शुरू से लेकर अंत तक बांधे रहती हैं.

मनाली में, एक हाई प्रोफाइल शादी से एक दिन पहले, सिर्फ मर्दों के लिए होने वाली एक पार्टी में, दुल्हे का ऐय्याश पिता (हर्ष छाया) जो की नशे में धुत है, वहां नाच रही एक डांसर को गोली मार देता है. इन बड़े लोगों के बीच, उस छोटे से हादसे में हुई मौत की, कोई वक़त नहीं. उनकी ऐय्याशी और मस्ती लगातार जारी रहती है. डांसर की लाश को आनन-फानन में वहां से गायब कर ठिकाने लगा दिया जाता है. यहाँ से आगे की सारी कार्यवाही, हत्यारे का भतीजा राजिंदर अटवाल उर्फ़ रिंकू (सूर्या शर्मा) सम्हाल लेता है, अपने गुर्गों के साथ मिल के. शादी में उसे किसी भी तरह की कोई रुकावट नहीं आने देनी है. वो सभी क़ानूनी और ग़ैर-क़ानूनी मसलों को सुलझाते हुए, अनदेखी को दिलचस्प बनाता जाता है. सलोनी जो की एक पांच लोगों की टीम के साथ शादी का विडियो शूट करने आई है, उसके एक टीम का एक मेम्बर ऋषि (अभिषेक चौहान) के पास इस हत्या की विडियो रिकॉर्डिंग आ जाती है, जो की सबसे बड़ा और पुख्ता सबूत है पापा जी के ख़िलाफ़. ये सबूत ही उसे बहुत बड़ी मुश्किल में फंसाता जाता है. ऋषि के साथ ही, मारी गयी डांसर की बहन (अपेक्षा पोरवाल) भी इस उलझती-सुलझती गुत्थी में बुरी तरह फंसती जाती है. लाख जतनों के बावजूद भी वो सुरक्षित बच पाते हैं या नहीं, हत्यारा क़ानून के चंगुल में फंसता है या नहीं… इन सब सवालों का जवाब बहुत ही रोमांचक तरीके से हमारे सामने आता है.

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सुंदरबन में हुए एक हत्याकांड को सुलझाने के सिलसिले में DSP बरुन घोष (दिब्येंदु भट्टाचार्य ) मनाली आता है, और उसका सामना होता है मनाली में हुए डांसर के हत्यारों से… यानि की अटवाल परिवार से. DSP बहुत ही शांत और ख़ुश मिज़ाज इंसान है, पर अब उसके सामने हैं बदतमीज़, बदमाश, करोड़पति अटवाल परिवार, जिनसे पार पाना इतना आसान नहीं. DSP हत्यारे तक पहुंचना चाहता है और अटवाल परिवार उसे बचाना. तहक़ीक़ात के दौरान परत-दर-परत खुलती जाती है, लोगों के चेहरे बेनक़ाब होते हैं और आख़िर में कहानी ऐसी जगह ख़त्म होती है की आप ख़ुद को अगले सीजन के इंतज़ार में पाते हैं.

अनदेखी की सबसे ख़ास बात है इसके चरित्रों का अभिनय. इसमें ख़ास ज़िक्र होना चाहिए सौम्य, मृदु-भाषी किन्तु सख़्त DSP का किरदार निभाने वाले दिब्येंदु भट्टाचार्या का, ख़तरनाक, साज़िशों को रचने वाले रिंकू का किरदार करने वाले सूर्या शर्मा का, और ऐय्याश, हमेशा नशे में डूबे रहने वाले पापा जी, हर्ष छाया का.

दिब्येंदु भट्टाचार्या, जिन्हें हम पहले भी कई फिल्मों और वेब सीरीज़ में देख चुके हैं, इस बार अनदेखी में उन्हें अपनी प्रतिभानुसार अच्छा मौक़ा मिला है, जिसे वो बख़ूबी निभाते हैं. दिब्येंदु हमारे सामने ऐसा दिलचस्प चरित्र लेकर आते हैं, जो पुराने फिल्मी गाने गाता है, जो ख़ुद को बार बार इंस्पेक्टर कहे जाने पर चिढ़ जाता है, पर अपना आपा नहीं खोता… जो बहुत ही ज़िद्दी, शातिर और होशियार है. इस किरदार को निभाते हुए, दिब्येंदु दिखाते हैं की उनकी अपनी अभिनय कला पर कितनी अच्छी पकड़ है, कितने अच्छे से वो चरित्र को समझते हैं और निभाते हैं. उन्होंने अपनी कला का लोहा पहले ही मनवा लिया है, पर ये सीरीज उनके लिए, आने वाले समय में और भी अच्छे अवसर ले कर आएगी.

सूर्या शर्मा जिन्हें हमने HOSTAGES में भी पहले देखा है, इस बार बड़े ही दमदार किरदार में नज़र आते हैं, और उनका ये दम, एक पल को भी कहीं छूटता नहीं दिखता. कहते हैं विलेन जितना दमदार हो कहानी उतनी ही रोचक होती है, अनदेखी में इस रोचकता को बरक़रार रखा है सूर्य शर्मा ने, उनके किरदार, रिंकू का ख़ौफ़ लगातार बना रहता है.

हर्ष छाया बहुत दिनों बाद ऐसे किसी चरित्र में दिखे हैं, जो की थोड़ा कैरिकेचरिश है, लाउड है… बेढंगा है. पापा जी का किरदार कभी भी, कहीं भी, कुछ भी ऊटपटांग हरकतें कर जाता है… ऐसे चरित्रों को निभाते समय अक्सर एक्टर्स ‘ओवर द टॉप’ कर जाते हैं, लेकिन हर्ष छाया ने बख़ूबी, बहुत ही सधा हुआ काम किया है. पल भर को आप को लगता है की पापा जी ऐसा क्यूँ कर रहे? पर अगले ही पल आप उनकी ऐय्याश ज़िन्दगी और नशे की लत को, उनकी गिरी हुई हरकत का कारण मान, ख़ुद को जस्टिफाई कर लेते हैं… और आपके ऐसा करने के पीछे, अभिनेता की उम्दा एक्टिंग होती है.

बाक़ी कलाकारों का भी अभिनय अपनी जगह दुरुस्त है. कुछ चरित्रों पर थोड़ी और डिटेलिंग की गयी होती, उन्हें और भी आयाम दिए गए होते तो और भी चरित्र निखर के सामने आते.

निर्देशन आशीष आर. शुक्ला का है, जो की इस थ्रिलर में आपको बांधे रखता है. कहानी में उनकी पकड़ कहीं भी ढीली नहीं पड़ती, एक के बाद एक ट्विस्ट एंड टर्न आते रहते हैं. एक हत्याकांड, जो की कई लोगों की आँखों के सामने हुआ, जो बहुत बड़ा काण्ड भी न होता, अगर वो रिकॉर्ड न हो गया होता… वो हत्याकांड जिस हैरतंगेज़ तरीक़े से हमारे सामने खुलता जाता है दस एपिसोड्स में… वो निर्देशक की क़ाबिलियत दिखाता है.

अपनी तमाम ख़ूबियों के साथ ही कुछ ख़ामियां भी हैं, पर कहानी जिस तेज़ी से आगे बढ़ती जाती है, वो आपको उन ख़ामियों पर बहुत देर, टिक कर सोचने का मौक़ा नहीं देती, और आप दस एपिसोड देख डालते है, आख़िर में अनदेखी ऐसे हाई नोट पर छोड़ती है की आप अगले सीज़न में क्या होगा, कैसे होगा, ये सोचने को विवश हो जाते हैं.

अनदेखी सबसे अच्छी न सही… पर अनदेखा करने लायक तो क़त्तई नहीं है. एक बार ज़रूर देखें…

सुमन लता शुक्ला

Suman Lata
Suman Lata
Suman Lata completed her L.L.B. from Allahabad University. She developed an interest in art and literature and got involved in various artistic activities. Suman believes in the idea that art is meant for society. She is actively writing articles and literary pieces for different platforms. She has been working as a freelance translator for the last 6 years. She was previously associated with theatre arts.

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