कई बार फ़िल्म/वेब सीरीज़ के नाम इतने अनसुने और अजीब होते हैं कि फ़िल्म देखने से पहले तक आप यह अंदाज़ा नहीं लगा पाते हैं कि कहानी किस विषय पर होगी, जैसे तुम्बाड़ (Tumbbad), डायबुक (Dybbuk)| इस सूची में नया नाम जुड़ा है,‘तब्बर’ (Tabbar)| आइए सबसे पहले तो आपको ‘तब्बर’ शब्द का अर्थ बता दें, फिर बात आगे बढ़ाते हैं| तब्बर पंजाबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है, परिवार|
सोनी लिव पर ‘Tabbar’ शीर्षक से आठ एपिसोड वाली एक वेब सीरीज़ हाल ही में रिलीज़ हुई है, जिसकी काफी चर्चा हो रही है| निर्देशक अजीतपाल सिंह की यह थ्रिलर सीरीज़ एक रिटायर्ड पुलिस कांस्टेबल के बेहद साधारण से परिवार की कहानी है जो दुर्योगवश एक ऐसी स्थिति में फँस जाता है, जहाँ से अपराध और हिंसा का कभी न खत्म होने वाला एक सिलसिला शुरू होता है| उस कांस्टेबल का परिवार इस दुष्चक्र से बाहर निकल पाता है या नहीं, इस लेख के माध्यम से हम यह जानने की कोशिश करेंगे|
‘Tabbar’ Plot Summary
वेब सीरीज़ ‘Tabbar’ के शुरुआती दृश्य में रात के अँधेरे में खेतों के बीच कच्ची सड़क पर एक कार भागती हुई नजर आती है, जिसे ओंकार सिंह (पवन मल्होत्रा) चला रहे होते हैं और साथ में उनकी पत्नी सरगुन (सुप्रिया पाठक) डरी-सहमी सी बगल में बैठी हुई है| दोनों किसी गाँव के वीरान इलाके में रुक कर एक लाश जलाते हैं| संवाद से यह स्पष्ट होता है कि लाश उनके किसी बेहद प्रिय व्यक्ति की है| ओंकार सिंह और सरगुन जैसे मध्यमवर्गीय उम्रदराज़ लोगों को रात के सन्नाटे में यूँ छिप कर लाश क्यों जलाना पड़ रहा है? यह राज़ खोलने के क्रम में कहानी फ़्लैशबैक में दो हफ्ते पीछे पहुँचती है| जहाँ दर्शक ओंकार सिंह की पारिवारिक परिस्थिति से रूबरू होते हैं|
ओंकार सिंह एक पुलिस कांस्टेबल थे| अपनी पत्नी सरगुन की बिगड़ती तबियत के मद्देनज़र उन्हें पुलिस की नौकरी छोड़नी पड़ी| फिलहाल कमाई के लिए वह एक किराना स्टोर चलाते हैं| इनके दो बेटे हैं, बड़ा हैप्पी (गगन अरोड़ा) जो दिल्ली में रह कर आइपीएस की कोचिंग कर रहा है और छोटा तेगी (साहिल मेहता), जो यूटूबर बन कर नाम कमाना चाहता है| बड़े बेटे के छुट्टियों में घर आने पर परिवार में हंसी-ख़ुशी का माहौल था कि थोड़ी देर बाद महीप सोढ़ी नाम का एक रईस नौजवान उनके घर पहुँचता है| महीप अपना बैग लेने आया था जो ट्रेन में हैप्पी के बैग से बदल गया था| महीप को अपना बैग तो मिल गया लेकिन उसके सामान में से एक पैकेट गायब था| दरअसल उस पैकेट को तेगी अपना गिफ्ट समझ कर दोस्त को दिखाने चला गया था| जब तेगी घर लौटा तो उसके कुछ कहने से पहले महीप उसके मुँह में रिवाल्वर लगा देता है| अपने भाई को खतरे में देख हैप्पी पिता की पुरानी पिस्तौल से महीप के सिर पर गोली मार देता है|
परिवार अपराध की सूचना पुलिस को क्यों नहीं देता?
महीप सोढ़ी, सफल बिज़नेसमैन और बाहुबली अजित सोढ़ी (रणवीर शौरी) का छोटा भाई था| अजित सोढ़ी तेज़ी से राजनीति में अपने पैर पसार रहा था| आगामी चुनावों में अजीत के सत्ता में आने की पूरी सम्भावना थी| हैप्पी घर में हुई हत्या के बारे में पुलिस को बताने के लिए कहता है लेकिन पिता ओंकार यह कहते हुए मना कर देते हैं कि अगर यह बात बाहर आ गई तो पुलिस के कुछ करने से पहले ही अजित सोढ़ी उसके पूरे परिवार को ख़त्म करवा देगा| इसलिए तय किया गया कि जब तक लाश को ठिकाने लगाने की कोई व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक उसे दुकान के स्टोर रूम में छुपा दिया जाये| कुछ दिन बाद मौका देखकर ओंकार और हैप्पी, महीप की लाश को एक नहर में फेंक आते हैं|
भीतर से बेहद डरा हुआ यह परिवार बाहरी दुनिया के सामने सामान्य जीवन जीता हुआ नज़र आता है| बावजूद इसके पुलिस इंस्पेक्टर लकी को, जो ओंकार सिंह का भतीजा भी था, चाचा के घर वालों के व्यवहार में एक तरह की असामान्यता नज़र आ रही थी|
पड़ोसी की हत्या
हैप्पी निवास की चिंताएँ तब और बढ़ जाती है, जब पुलिस को महीप की लाश नहर से मिलती है| अब पुलिस और अजीत सोढ़ी दोनों ही युद्धस्तर पर, महीप के हत्यारे की तलाश करने लगते हैं| दूसरी तरफ ओंकार सिंह का पड़ोसी सुनील, उनके लिए एक नई मुसीबत बन गया था| जब महीप बैग बदलने आया था, उस समय सुनील की मुलाकात भी उससे हुई थी| महीप सोढ़ी की हत्या की खबर सामने आने के बाद सुनील चुपचाप सिंह परिवार की हर गतिविधि पर नज़र रखने लगा| एक दिन महीप की हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्तौल उसके हाथ लग गई| फिर क्या था सुनील, ओंकार को पैसों के लिए ब्लैकमेल करने लगा|
ओंकार अपने परिवार की सुरक्षा के लिए ऐसे हर सबूत को ख़त्म कर देना चाहता था, जो महीप की हत्या से जुड़े थे| एक दिन जब सुनील घर पर अकेला था तो मौका देखकर ओंकार ने नशे में धुत सुनील की हत्या कर देता है| किसीको शक न हो इसलिए पूरी घटना को आत्महत्या का रूप दे देता है| सुनील की बेटी पलक (नूपुर नागपाली) को आशंका थी कि उसके पिता की हत्या हुई थी| वह अपने मंगेतर लकी (परमवीर चीमा) से इस विषय में बात करती है|
हैप्पी ने बैग जानबूझ कर चुराया था ?
हैप्पी अपने पिता के सामने यह सच स्वीकार करता है कि उसका मन आइपीएस की पढ़ाई में नहीं लगता था इसलिए उसने कोचिंग छोड़ कर, अपना बिजनेस शुरू करने की कोशिश की| बिजनेस के सिलसिले में लिए गए लोन को चुकाने का दबाव उसके ऊपर था, इसलिए उसे पैसों की ज़रूरत थी| जब हैप्पी को पता चला कि महीप के बैग में पीला (कोकीन, स्मैक से भी ज्यादा खतरनाक और महँगा नशीला पदार्थ) है, तो वह जानबूझ कर महीप का बैग उठा लाया|
लकी की हत्या की वजह ?
महीप की हत्या से जुड़े मामले की तहकीकात करते हुए लकी ने पाया कि सारे तथ्य हैप्पी और ओंकार चाचा को संदेह के घेरे में ला रहे थे| लकी, ओंकार को उसी नहर के पुल पर ले कर गया जहाँ हैप्पी और उसने महीप की लाश फेंकी थी| यह देखकर कि लकी उसके राज़ तक पहुँच गया है, ओंकार उसे सब कुछ बता देता है| यह भी बताता है कि वह और हैप्पी मिलकर अजीत को ही उसके भाई की हत्या में फँसाने की कोशिश कर रहे हैं| इसीलिए हैप्पी अजीत सोढ़ी की कम्पनी में नौकरी कर रहा है|
अजीत के अंगरक्षक मुख़्तार के साथ मुठभेड़ में लकी को गोली लग जाती है| सरगुन और ओंकार किसी तरह से उसे को कार में डाल कर अस्पताल ले जा रहे थे| रस्ते में लकी की बातों से ओंकार को समझ आ जाता है कि लकी, हैप्पी को बचाने में उनका साथ कभी नहीं देगा| इतना ही नहीं अगर लकी बचा रह गया तो हैप्पी का भविष्य बर्बाद हो जाएगा| ओंकार और सरगुन अपने ही परिवार के दो लड़कों में से अपने लड़के हैप्पी को बचाने का चुनाव करते हैं| शुरूआती दृश्य में जिस लाश को जलाते हुए उन्हें दिखाया गया था, वह लकी की ही थी|
‘Tabbar’ Ending Explained – अपराध और अपराधबोध के दुष्चक्र से निकलने की ज़द्दोजहद
वेब सीरीज ‘Tabbar’ में ओंकार सिंह अपने परिवार को जोखिम से बचाने के लिए खुद कितने जोखिम उठाता है| उसके लिए परिवार का हित ही सबसे महत्वपूर्ण था, फिर अंत में वह अपनी बीवी को ज़हर दे कर क्यों मार देता है? इसकी दो व्याखाएं हो सकती हैं| पहली, वह अपनी बीवी की बिगड़ती मानसिक- भावनात्मक स्थिति को देख नहीं पा रहा था| सरगुन अपने अपराधबोध से बाहर नहीं निकल पा रही थी और उसकी यह मनोग्रंथि दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही थी| ओंकार, सरगुन को भावनात्मक और मानसिक स्तर पर लगतार टूटते हुए देख रहा था| अंततः गज़र के हलुवे में जानलेवा दवाई मिला कर सरगुन को अपराध के उस बोझ से मुक्त कर देता है|
दूसरी वजह यह हो सकती है कि सरगुन की मानसिक स्थिति दिन ब दिन बिगड़ने लगी थी| कभी उसे अपने हाथ खून से रंगे नज़र आते तो कभी किसी अनहोनी या अपशगुन की आशंका से भरा उसका मन कौवे को देखने लगता था, सभी मरे हुए लोग उसे घेरे रहते थे| सरगुन अपनी मानसिक स्थिति के कारण घर में हुई हत्या का राज़ अब खुद तक सीमित रखने में समर्थ नहीं थी| अपने बच्चों के भविष्य और पत्नी में से एक बार फिर ओंकार ने बच्चों के भविष्य का चुनाव किया|
‘Tabbar’ वेब सीरीज़ आप ओटीटी प्लेटफार्म सोनी लिव पर देख सकते हैं|