“Surviving Paradise: A Family Tale” ओकावांगो डेल्टा के वन्य जीवन पर आधारित है| इसलिए सबसे पहले इस जगह के बारे में चंद बातें करते चले| ओकावांगो डेल्टा दुनिया के सबसे विशाल ‘कालाहारी मरुस्थल’ में स्थित है| यह भूभाग अफ़्रीकी महाद्वीप के दक्षिणी इलाके में पड़ता है| ओकावांगो डेल्टा पर मौसमों में जबरदस्त बदलाव देखे जाते हैं| कभी कांगो की पहाड़ियों से निकलने वाली ‘ओकावांगो नदी’ का पानी कालाहारी रेगिस्तान के डेल्टा में बाढ़ ला देता है, तो कभी यहाँ की धरती गर्मी के प्रचंड प्रकोप से इस कदर तपने लगती है कि पानी का एक-एक कतरा सूख जाता है|
निर्देशक रेने गोडफ्रे (Renee Godfrey) और सह निर्देशक मैट मीक (Matt Meech) ने ओकावांगो डेल्टा में रहने वाले वन्य पशुओं के तीन परिवारों को इस डॉक्यूमेंट्री का विषय बनाया है| विषम परिस्थितियों में अस्त्तिव बचाने की इनकी संघर्ष यात्रा को दर्ज किया है| यह परिवार शेरनी, हाथियों और अफ़्रीकी जंगली कुत्तों (Painted Wolves) का है| यह सभी अपने-अपने तरीके से विकट चुनौतियों का सामना करते हैं|
‘Surviving Paradise: A Family Tale’ Summary in Hindi
डॉक्यूमेंट्री की शुरुआत मई के भीषण सूखे के साथ होती है| चार महीने पहले उत्तर के अंगोलन हाईलैंड्स में बरसा पानी जब कालाहारी और डेल्टा के समतल इलाकों में पहुंचता है, तब जाकर सूखे का अंत होता है| 9 ट्रिलियन से ज्यादा पानी, इस मरुस्थल को दुनिया के सबसे बड़े मरूउद्यान (Oasis) में तब्दील कर देता है|
पानी के साथ ही ओकावांगो डेल्टा में बड़ी संख्या में पशु दलों का बाहर से आना शुरू हो जाता है| 6 महीने की एक छोटी शिशु हथिनी भी यहाँ पहुँचती है| वह एक वृद्ध हथिनी की अगुवाई वाले झुण्ड के साथ पहली बार इस इलाके में आई है|
24 अफ़्रीकी जंगली कुत्तों का एक समूह, डेल्टा में पहले से ही रह रहा है| द अल्फा फीमेल, इस समूह की लीडर है| लम्बे समय से वह झुण्ड के लिए खाने की व्यवस्था करती आ रही थी| लेकिन गर्भवती होने की वजह से फ़िलहाल वह शिकार पर जा पाने में असमर्थ है| कुछ समय बाद अल्फ़ा फीमेल के 14 बच्चे होते हैं| भोजन के लिए वह और बच्चे पूरी तरह से अपने झुण्ड पर निर्भर हैं| काबिल नेतृत्व के आभाव और बाढ़ के पानी की वजह से अफ़्रीकी जंगली कुत्तों के इस समूह का शिकार अभियान धीमी गति से चल रहा था|
अपने समूह से पीछे छूट गई 2 साल की एक शेरनी भी यहीं ओकावांगो डेल्टा में रहती है| कुछ समय बाद वह गर्भवती हो जाती है| बाढ़ का पानी शेरनी के लिए शिकार करने में मुश्किलें पैदा कर रहा था|
अगली पीढ़ी को बचाने का संघर्ष सफल होगा?
सितम्बर आते-आते तापमान बढ़ने और जलस्तर घटने लगता है| घटता हुआ पानी अफ़्रीकी जंगली कुत्तों के लिए शिकार की समस्या बढ़ा रहा था| झुण्ड और बच्चों की बढ़ती ज़रूरतों को पूरा करने के लिए शिकार की कला में माहिर अल्फा ने वापस नेतृत्व संभल लिया| साथ ही वह अपने बच्चों को शिकार के गुर में भी माहिर करती जाती है|
अक्टूबर के आखिरी हिस्से में तापमान 45 डिग्री तक पहुँच गया| हाथियों का झुण्ड पानी की तलाश में भटकने लगा| शिशु हथिनी पानी के लिए व्याकुल है| बच्ची का जीवन पूरी तरह से झुण्ड की सबसे बुज़ुर्ग हथिनी की जानकारी पर निर्भर था| वह कई वर्षों से इन रास्तों पर घूमती आ रही थी| मरुस्थल में पानी के आखिरी स्रोत तक वही पहुंचा सकती है क्योंकि उसके दिमाग में अनेक सालों का अनुभव और स्थान-बोध स्मृतियों के तौर पर दर्ज है| अंततः परिवार का पुराना ज्ञान हाथियों के झुण्ड को पूरे डेल्टा में पानी के आखिरी स्रोतों तक ले कर आता है|
काफी इंतजार के बाद बारिश होती है और सूखे का संकट समाप्त होता है| बारिश के मौसम में शेरनी के चार बच्चे होते हैं| सक्षम होने तक बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी शेरनी पर है| वह हर कुछ दिनों के बाद अपने बच्चों की जगह बदल देती है| जिससे कि उनकी गंध किसी शत्रु को आमन्त्रण न दे दे| लेकिन एक बार उसकी कोशिशों में सेंध लग जाती है| दो युवा नर शेर, नर शिशुओं की उपस्थिति बर्दाश्त नहीं कर सकने की वजह से उनका पीछा करने लगते हैं| दुर्भाग्य से शेरनी का एक बच्चा नर शेर की गिरफ्त में आ जाता है| मां अपने बच्चे के लिए उन शेरों से भिड़ जाती है| लेकिन उसे बचा नहीं पाती| उसकी बहादुरी के बदौलत ही बाकी तीन बच्चे बच जाते हैं|
तीनों परिवार की माएं सूखे, बाढ़ और आग का सामना करते हुए अपने बच्चों के रूप में भावी पीढ़ी को न सिर्फ़ बचाती हैं बल्कि जिंदा रहने के गुर सिखाते हुए लाखों सालों के अस्त्तिव संघर्ष को भी आगे बढ़ाती हैं|
भावी पीढ़ी के लिए सीख
ओकावांगो डेल्टा में रहने वाले समूहों के बच्चे, बहुत जल्दी बचे रहने की लड़ाई में परिवार की भूमिका समझ जाते हैं| कालाहारी मरुस्थल का कठिन जीवन, बदलते पर्यावरण के साथ अनुकूलन और प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने की चुनौती उनके सामने रहती है| इन सबका सामना करने के लिए उनके पास सबसे बड़ा हथियार, उनका समूह और परिवार है|
‘Surviving Paradise: A Family Tale’ को क्यों देखा जाना चाहिए?
इंसान आज भी प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण सम्बन्ध स्थापित नहीं कर पाया है| जबकि हम जानते हैं कि एक ग्रह के तौर पर पृथ्वी और एक प्राणी के तौर पर हमारे अस्तित्व के लिए यह कितना आवश्यक है| “Surviving Paradise: A Family Tale” में हम ओकावांगो डेल्टा के हर पशु समूह या परिवार को बदलते मौसम की लय के साथ सघन रूप से जुड़े हुए पाते हैं| सामूहिक जीवन, समूहों की उपयोगिता और प्रकृति के साथ जीवंत रिश्ता बनाने के कई किस्से इस डॉक्यूमेंट्री में नज़र आते हैं, जो हमें संवेदनात्मक तौर पर छूते हैं|
यह डॉक्यूमेंट्री स्पष्ट करती है कि वन्य जीवन में परिवार के मायने, झुण्ड या समूह से कुछ बढ़कर है| जंगली जानवरों के बीहड़ जीवन में परिवार का वास्तविक अर्थ स्मृति है| सामूहिक स्मृति को दूसरे शब्दों में सामूहिक अनुभव या ज्ञान भी कह सकते हैं| यही वह तथ्य है जो उनके जीवन और मौत के बीच अंतर लाता है| इन्सानों के सन्दर्भ में भी यह बात लागू होती है|
“Surviving Paradise: A Family Tale” में कालाहारी मरुस्थल के मुग्ध कर देने वाले प्राकृतिक दृश्य हैं| वहाँ के जीवन को लेखक डेविड फॉलर (David Fowler) ने जितने खूबसूरत शब्दों में बांधा है, रेगे-जॉ पेज (Rege-jean Page) ने अपनी आवाज़ में उतने ही शानदार तरीके से प्रस्तुत किया है|
तारीफ़ करनी होगी विलियम गुडचाइल्ड (William Goodchild) की जिनके पार्श्व संगीत ने परिस्थिति के अनुसार दृश्यों में नाटकीयता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| उदाहरण के तौर पर शेरनी के दो शेरों से भिड़ने वाले दृश्य का जिक्र किया जा सकता है|
ओकावांगो डेल्टा के वन्य जीवन पर आधारित 1 घंटा 19 मिनट की डॉक्यूमेंट्री “Surviving Paradise: A Family Tale” को नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं|