तेलगु भाषा में बनी ‘Shyam Singha Roy’ एक पीरियड रोमांटिक ड्रामा है| फ़िल्म का निर्देशन राहुल सांकृत्यन ने किया है| फ़िल्म के लेखकों (राहुल सांकृत्यन तथा जंग सत्यदेव) ने प्रेम कहानी कहने के लिए पुनर्जन्म की अवधारण को जरिया बनाया है|
‘Shyam Singha Roy’ में आजकल के उभरते हुए फ़िल्म निर्देशक और सत्तर के दशक के ख्यातिप्राप्त लेखक की रचनात्मक समानता एक पहेली का रूप ले लेती है| जिसे सुलझाने के क्रम में धीरे-धीरे एक प्रेम कहानी खुलती जाती है|
‘Shyam Singha Roy’ Summary In Hindi
हैदराबाद में रहने वाला वसु (नानी) फ़िल्म निर्देशक बनने की हसरत रखता है| महीनों से वह एक शॉर्ट फ़िल्म पर काम कर रहा है| उसे उम्मीद है कि यह शॉर्ट फ़िल्म दिखा वह किसी प्रोड्यूसर को अपनी फुल लेंथ फ़िल्म में पैसा लगाने के लिए मना लेगा| ऐसा होता भी है| अंततः वसु को एक फुल लेंग्थ फ़िल्म बनाने का मौका मिल जाता है|
शॉर्ट फ़िल्म बनाने के दौरान वसु और नायिका कीर्ति (कीर्ति शेट्टी) एक दूसरे को पसंद करने लगते हैं| उनके प्यार की गाड़ी रफ़्तार पकड़ पाती इससे पहले ही एक दुर्घटना घट गई| हुआ कुछ यूँ कि प्रेम के गहन पलों में जब वह एक दूसरे में खोये हुए थे, वसु कीर्ति को रोज़ी कह पुकारता है| कीर्ति को लगता है कि वसु उनके संबध को लेकर ईमानदार नहीं है| वह वसु के साथ अपने रिश्ते ख़त्म कर, मनोविज्ञान की पढ़ाई के लिए मुंबई चली जाती है| इस पूरे मामले में सबसे अजीब बात यह थी कि खुद वसु किसी रोज़ी को नहीं जानता था| रोज़ी कौन थी और वसु के मुँह से यह नाम क्यूँ निकला, यह खुद उसके लिए भी एक पहेली बन कर रह जाती है|
खैर, कीर्ति के जाने के बाद वसु अपना पूरा ध्यान फ़िल्म बनाने में लगा देता है| साल भर की मेहनत के बाद उसकी पहली फ़िल्म ‘उनिकी’ रिलीज़ हुई| दर्शकों ने फ़िल्म को खूब पसंद किया| हिन्दी फ़िल्मों के एक बड़े प्रोडक्शन हाउस ने वसु को ‘उनिकी’ की रीमेक बनाने का ऑफर दिया| उसके सपने हक़ीकत का रूप लेने ही वाले थे कि अचानक परिदृश्य में कलकत्ता के ‘एस.आर.पब्लिकेशन’ की एंट्री होती है और सारी तस्वीर बदल जाती है| इस नामी गिरामी प्रकाशन समूह ने वसु पर कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज करा दिया| मामला अदालत में पहुँचा| एस.आर.पब्लिकेशन का कहना था कि वसु ने उनके संस्थापक श्याम सिंह रॉय की कहानी की हुबहू नक़ल की है| श्याम सिंह रॉय की किताब पढ़ कर वासु भी हैरान रह जाता है| उसे समझ नहीं आ रहा था कि पचास साल पहले लिखी कहानी और उसकी कहानी में इतनी समानता कैसे है?
श्याम सिंह रॉय और रोज़ी कौन हैं?
श्याम सिंह रॉय सत्तर के दशक के विद्रोही लेखक और समाज सुधारक थे| वह कलम से क्रांति लाने के सपने देखते थे| खुले तौर पर सामाजिक कुरीतियों को चुनौती देते थे| परन्तु श्याम का बागी तेवर खुद उनके पारम्परिक रंग-ढंग वाले परिवार को पसंद नहीं आता था| घरेलू कलह से तंग आकर एक दिन उन्होंने गाँव छोड़ने का मन बना लिया और निकल पड़े|
रास्ते में संयोग से वह नवरात्रि के नौ दिन चलने वाले कार्यक्रम में पहुँच गए| जहाँ उनकी नज़र नृत्य करती मैत्रेयी (साईं पल्लवी) नाम की देवदासी पर पड़ी| उसके सम्मोहन में बंधे श्याम ने गाँव छोड़ने की योजना स्थगित कर दी| वह हर दिन पूजा के आयोजन में जाने लगे| एक दिन मौका तलाश कर उन्होंने मैत्रेयी से बात की और उसे मंदिर से बाहर मिलने के लिए बुलाया| इसके बाद तो उनकी मुलाकातों का सिलसिला चल निकला| श्याम ने मैत्रेयी को रोज़ी नाम दिया| रात, चांदनी, नदी, नाव और नृत्य की काव्यात्मक पृष्ठभूमि में श्याम और रोज़ी का प्रेम पनपने लगा| इस प्रेम को उसकी परिणति तक पहुँचाने के लिए श्याम पहले तो रोज़ी को मंदिर के महंत के चंगुल से आज़ाद कराता है| फिर कलकत्ता जा कर दोनों शादी कर लेते हैं|
कलकत्ते में रॉयल प्रेस में काम करते हुए श्याम विधिवत लेखन शुरू कर देते हैं| देखते ही देखते उनकी किताबों की धूम मच जाती है| एक दिन श्याम के भाई मनोज कलकत्ता आए| वह श्याम को बड़े भैया की ख़राब तबियत की सूचना देते हैं| साथ ही एक बार घर चलकर उनसे मिलने का आग्रह भी करते हैं| श्याम के परिवार की तल्खी याद कर रोज़ी का मन आशंकाओं से घिर जाता है| श्याम रोज़ी से हर हाल में वापस लौट आने का वायदा करके, मनोज के साथ गाँव के लिए चल पड़ते हैं|
मनोज के अतिरिक्त श्याम का बाकि परिवार रोज़ी को वेश्या मानता था| श्याम ने ऐसी लड़की से न केवल शादी कि बल्कि उसे छुड़ाने के लिए मंदिर के महंत की हत्या भी की थी| इन वजहों से श्याम और रोज़ी के गाँव छोड़ देने के बाद उनके परिवार को बेहद अपमान का सामना करना पड़ा था| रोज़ी की आशंकाएँ सच साबित हुईं| घर के लोग श्याम से काफी नाराज़ थे| अपने जीवन की तकलीफों के लिए बड़े भाइयों ने श्याम से बदला लेने का मन बनाया हुआ था| मनोज की अनुपस्थिति में उन्होंने श्याम की हत्या कर दी|
पचास साल के अंतर पर, एक दूसरे से अपरिचित दो लोगों ने एक ही कहानी कैसे लिखी?
वसु एक तरह की विचित्र मनोवैज्ञानिक समस्या से गुज़र रहा था| कभी-कभी अचानक उसके कान से खून का रिसाव होने लगता था| ऐसा होने पर वह अपने आसपास का माहौल भूल जाता और किसी अन्य शख्स की तरह व्यव्हार करने लगता था| वसु को मुसीबत में फंसा देख कर कीर्ति मदद के लिए आगे आती है| वह उसे अपनी प्रोफेसर के पास क्लिनिकल हिप्नोसिस के लिए लेकर जाती है| क्लिनिकल हिप्नोसिस की प्रक्रिया के दौरान यह रहस्य उजागर होता है कि वसु दरअसल पूर्व जन्म में कोई और नहीं बल्कि खुद श्याम सिंह रॉय था|
अदालत वसु की पुनर्जन्म की कहानी पर यकीन नहीं कर पा रही थी| इस असमंजस का समाधान श्याम सिंह रॉय के भाई मनोज करते हैं, जो अब तक काफ़ी वृद्ध हो चुके हैं| उन्हें यकीन था कि वसु, उनका भाई श्याम है| वह वसु के विरुद्ध दायर अपनी याचिका वापस ले लेते हैं| लेकिन मनोज को आखिर वसु के श्याम सिंह रॉय होने पर इतना यकीन कैसे है ? उनके यकीन की वजह वह छोटी कहानी थी जो श्याम सिंह रॉय ने गाँव लौटे समय रास्ते में लिखी थी| उसके बाद श्याम की हत्या कर दी जाती है| मनोज के अलावा दुनिया में किसी को उस छोटी कहानी के बारे में पता नहीं था| उनके आश्चर्य की सीमा नहीं रहती जब वह वसु की शॉर्ट फिल्म ऑनलाइन देखते हैं| वह फ़िल्म उसी छोटी कहानी पर बनी थी|
‘Shyam Singha Roy’ Ending Explained: श्याम सिंह रॉय का पुनर्जन्म क्यों होता है?
श्याम सिंह रॉय आखिर वसु के रूप में वापस क्यों आए? इस दुनिया में ऐसा क्या था जो उन्हें जीवन से बांधे हुए था| मनोज जब बताते हैं कि रोज़ी अभी जिंदा है और वह आज भी उनका इंतज़ार कर रही है तो इस रहस्य से पर्दा हटता है| श्याम और रोज़ी दोनों की मुक्ति के लिए उनका मिलना ज़रूरी था| वसु/श्याम रोज़ी से मिलने जाता है| अंततः जीवन-मृत्यु की सीमाओं के परे चलने वाली यह प्रेम कहानी अपनी परिणति पर पहुँचती है| रोज़ी का इंतज़ार ख़त्म हुआ और श्याम का वापस लौट कर आने का वायदा पूरा होता है| वह श्याम की बाँहों में दम तोड़ देती है|
यूँ तो मृत्यु के बाद जीवन या पुनर्जन्म का कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है| लेकिन ‘Shyam Singha Roy’ फ़िल्म में यह तथ्य से ज्यादा एक प्रतीक के तौर पर है| फ़िल्म एक भाव के तौर पर ‘प्रेम’ की निरंतरता और अमरता की बात कहती है| जिसे शरीर से परे जाते हुए दिखाया गया है|
नानी की मुख्य भूमिका वाली यह फ़िल्म ‘Shyam Singha Roy‘ आप Netflix पर देख सकते हैं|