भारतीय समाज और जीवन में रचे-बसे एक देसी सुपर हीरो की तलाश का नतीजा है, फ़िल्म ‘Minnal Murali‘ |सुपर हीरो जॉनर में निस्संदेह हॉलीवुड का दबदबा रहा है| हमारी कई पीढ़ियाँ बैट मैन, स्पाइडर मैन, हीमैन, सुपर मैन जैसे सुपर हीरो को देख कर बड़ी होती आई हैं| हिन्दी सिनेमा की तरफ से ‘मिस्टर इंडिया’ और ‘कृष’ जैसी कोशिशों के बावजूद हमें अभी तक स्पाइडर मैन, बैट मैन की टक्कर का देसी सुपर हीरो नहीं मिल पाया है|
मलयाली सिनेमा हाल के वर्षों में काफी प्रयोगधर्मी रहा है| वहाँ अलग-अलग जॉनर में नई कहानियों पर गंभीरतापूर्वक काम किया जा रहा है| ऐसे में ‘Minnal Murali’ के माध्यम से मलयाली सिनेमा की तरफ से एक विशुद्ध भारतीय सुपर हीरो को गढ़ने की पहलकदमी हुई है| लेखक अरुण अनिरुधन, जस्टिन मैथ्यू तथा निर्देशक बासिल जोसफ़ की यह कोशिश कितनी कामयाब रही, आइए जानते हैं|
Summary of ‘Minnal Murali’
‘Minnal Murali’ की कहानी हमें 90 के दशक के केरल में लेकर जाती है| जहाँ एक छोटे से गाँव कुरुकंमूला के लोग अपने रोज़मर्रा के कामकाज के साथ ही हर किसी की ज़िन्दगी में झांकने और एक दूसरे के फटे में पैर घुसेड़ने में मशगूल रहते हैं| गाँव की एक बेहद गरीब लेकिन सुंदर महिला ऊषा (शैली किशोर) कुछ साल पहले अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी| अब जबकि वह अपनी बीमार बेटी के साथ वापस आई है, तो गाँव के नुक्कड़-चौराहों और चाय की दुकानों पर ख़बरों का बाज़ार गरम है| उसी गाँव में ऊषा का एक मूक प्रेमी शिबू (गुरु सोमसुंदरम) रहता है, जो पिछले 28 सालों से ऊषा की स्मृतियों के सहारे अपनी बदहाल ज़िन्दगी गुज़ार रहा है| खुद उसके पिता समेत गाँव के लोग उसे पागल समझते हैं| शिबू को जब ऊषा के वापस लौटने की बात पता चलती है तो उसकी ज़िन्दगी में फिर से एक आस लौट आती है| लेकिन ऊषा का भाई दासन (हरिश्री अशोकन) शिबू को पसंद नहीं करता है और ऊषा को उससे दूर रहने के लिए कहता रहता है| दासन, ‘जैसन स्टिचिंग सेंटर’ नाम की दुकान में दर्जी का काम करता है| दुकान के मालिक का बेटा जैसन (टॉविनो थॉमस) फ़िल्म का नायक है| जैसन के परिवार में उसके अलावा उदारमना पिता, मददगार बहन (आर्या सलीम), प्यारा सा भांजा जोसेमोन (वशिष्ठ उमेश) और एक खडूस जीजा है| जैसन सामर्थ्य से कहीं बड़े सपने देखना वाला नौजवान है| उसमें बच्चों जैसा उत्साह और बेफिक्री है| वह अमेरिका जाकर खूब पैसा कमाने के सपने देखता था| जैसन का प्रेम प्रसंग गाँव के पुलिस थाना इंचार्ज की बेटी बिंसी से चल रहा था| लेकिन बिंसी जब अपने पिता की पसंद के एक अमीर लड़के से शादी करने का फैसला कर लेती है, तो उसे बहुत ठेस पहुँचती है|
दुर्लभ खगोलीय घटना और उसका प्रभाव
जैसन, शिबू और गाँव का जीवन अपनी सामान्य गति से चल रहा था कि एक दिन दूरदर्शन के कार्यक्रम ‘साइंस दिस वीक’ में दुर्लभ खगोलीय घटना की सूचना प्रसारित होती है| कार्यक्रम में बताया जाता है कि मंगल, शनि और बृहस्पति के चुम्बकीय क्षेत्र एक ही रेखा में आने के कारण 700 सालों में एक बार घटित होने वाला दुर्लभ संयोग बना है| जिसके कारण रात में बिजली गिरने और बारिश होने की सम्भावना जताई जाती है| उस दिन गाँव के दो लोगों पर आकाशीय बिजली गिरती है| यह दो लोग थे, जैसन और शिबू| दोनों को ही इस घटना के बाद अपने साथ अजीबोगरीब चीज़े होती हुई महसूस होती हैं| जैसन का भांजा सुपर हीरो की कॉमिक्स और अपने स्कूल की लाइब्रेरी से आकाशीय बिजली के प्रभावों के बारे में जानकारी इकट्ठा करता है| वह अपने मामा को उसके भीतर पैदा हुई सुपर पॉवर को पहचानने में मदद करता है| दूसरी तरफ शिबू को भी धीरे-धीरे अपनी शक्तियों का एहसास होता है|
अच्छाई और बुराई का संघर्ष
जैसन और शिबू पहले तो अपनी शक्तियों का इस्तेमाल व्यक्तिगत जीवन की छोटी-मोटी मुश्किलों को हल करने में करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है फ़िल्म अच्छाई और बुराई के शाश्वत द्वन्द की दिशा में बढ़ जाती है| शिबू अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करने लगता है, जिससे गाँव वालों का जीवन संकट में पड़ जाता है| ऐसे में नाउम्मीद हो चुके गाँव वालों की रक्षा करने की जिम्मेदारी जैसन अपने कन्धों पर लेता है| इस तरह निरीह, बेबस लोगों को अपना सुपरहीरो ‘मिन्नल मुरली’ मिलता है| फ़िल्म के अंत में जैसन अमेरिका जाने का इरादा छोड़ कर गाँव में ही रहने और भविष्य में आने वाले किसी भी संकट से गाँववासियों की रक्षा करने का फैसला करता है|
‘Minnal Murali’ Review
नायक व खलनायक चरित्र की विकासयात्रा – फ़िल्म की सबसे अच्छी बात यह रही कि इसमें नायक और खलनायक के चरित्रों की विकासयात्रा स्पष्ट दिखती है| फ़िल्म के शुरुआती हिस्से में जैसन का चरित्र खीज और शिबू का चरित्र सहानुभूति पैदा करता है| लेकिन सुपर पॉवर मिलने के बाद धीरे-धीरे हम जैसन में करुणा, इंसानियत और दायित्वबोध मज़बूत होते देखते हुए हैं जबकि शिबू में बिखराव, हैवानियत, क्रूरता बढ़ती हुई नज़र आती है| शिबू का उपेक्षित व्यक्तित्व व्यक्तिगत दुःख के बाद और ज्यादा आत्मकेंद्रित होता जाता है, जबकि जैसन अपनी व्यक्तिगत महत्वकांक्षाओं को त्याग कर आत्म का विस्तार करता है| यही उसे नायकत्व देता है|
खलनायक के मानवीय पहलू – ‘मिन्नल मुरली’ फ़िल्म का खलनायक काफी हद तक 2019 में आई ‘Joker’ में Joaquin Phoenix द्वारा निभाए चरित्र की याद दिलाता है| वह मूल रूप से हिंसक और नकारात्मक नहीं है| उसने जबसे होश संभाला तब से समाज से उपेक्षा और तिरस्कार ही मिला| जीवन में केवल एक बार किसी ने उसके साथ सहानुभूतिपूर्वक बर्ताव किया था, वह थी ऊषा | इसलिए उसके मन में और जीवन में ऊषा के लिए एक बेहद ख़ास जगह बन गई| जब उससे उसकी सबसे खास चीज़ छीन ली गई तो उसका दुःख और गुस्सा दोनों ही अनियंत्रित हो जाता है| लेखकों ने मिन्नल मुरली के खलनायक को मज़बूत मनोवैज्ञानिक आधार दिया है| शिबू के चरित्र को जितनी अच्छी तरह से लिखा गया है, गुरु सोमसुंदरम द्वारा उसे उतनी ही अच्छी तरह से जिया भी गया है|
कमज़ोर क्लाइमेक्स – फ़िल्म का क्लाइमेक्स कमज़ोर है| शुरूआती वातावरण और चरित्रों के परिचय में जितना इत्मीनान से समय दिया गया है, उतनी ही हड़बड़ी और जल्दबाजी में फ़िल्म के क्लाइमेक्स को समेट दिया गया|
मिन्नल मुरली की लाल-नीली ड्रेस और लाल मास्क – देसी सुपर हीरो की कल्पना में विदेशी सुपर हीरो का असर सबसे ज्यादा उसकी ड्रेस में झलकता है| मिन्नल मुरली की लाल-नीले रंग की ड्रेस हॉलीवुड के तमाम सुपर हीरो की याद दिलाती है| सबसे अटपटा लगता है, मिन्नल मुरली का लाल रंग का मास्क| ऐसा लगता है जैसे कोरोना काल में वायरस से बचने के लिए पहने जाने वाला मास्क सुपर हीरो को पहना दिया गया हो| इसके पीछे चाहे जो भी प्रतीकात्मकता या संदेश रहा हो, लेकिन देखने में बचकाना लगता है|
कम बजट, सुपर हीरो की कहानी कहने में बाधा नहीं बना – ‘Minnal Murali’ का बजट 18-20 करोड़ का था| मलयाली सिनेमा के हिसाब से यह ज्यादा हो सकता है लेकिन सुपर हीरो पर बनी फ़िल्मों के लिहाज़ से बहुत कम है| न महंगे सेट हैं, न ही अत्याधुनिक VFX तकनीक ही इस फ़िल्म में आपको दिखेगी| बावजूद इसके बासिल जोसफ़ कहानी सफलतापूर्वक कह ले जाते हैं|
सुपर हीरो ‘Minnal Murali’ को आप नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं|