द वायरल फीवर (TVF) की लोकप्रिय सीरीज़ Kota Factory Season 2 ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म नेटफ़िल्क्स पर आ चुका है | इंजीनियरिंग, मेडिकल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के जीवन में आने वाली छोटी-बड़ी चुनौतियों, उनका मार्गदर्शन करने वाले टीचर और कोचिंग संस्थानों की अंदरूनी राजनीति के अलग-अलग पहलुओं को उजागर करने वाली कहानी को 5 एपिसोड में बांटा गया है |
प्रतियोगी दुनिया में जो सफल नहीं, वह आदमी नहीं
‘Kota Factory’ की समानता वास्तविक फैक्टरी से स्थापित करते हुए सीरीज़ के पहले शॉट में चिमनी से निकलता धुआँ और उगता हुआ सूरज दिखाई देता है | कहानी, Kota Factory Season 1 में जहाँ ख़त्म हुई थी वहीँ से आगे बढ़ती है | वैभव पाण्डेय प्रोडिजी छोड़कर माहेश्वरी क्लाससेज़ में आ चुका है | छात्रों पर माहेश्वरी के कर्ताधर्ता केशव माहेश्वरी (समीर सक्सेना) का रुआब और उनके अनुशासन का आतंक है | पहले दिन हुए ओरिंटेशन में माहेश्वरी साहब अपनी स्पीच के माध्यम से संस्थान में आए नए बच्चों को प्रतियोगी जीवन के तनाव से रूबरू कराते हैं | अपनी स्पीच में यह कहते हुए कि दुनिया में केवल सफल लोग होते हैं क्योंकि जो असफल होते हैं वह आदमी नहीं होते, छात्रों पर हर हाल में सफल होने दबाव भी बना देते हैं |
कोटा में रहने वाले बच्चों की समस्याएँ और जीतू भैया के नुस्खे
देश के सबसे बड़े कोचिंग संस्थान माहेश्वरी में आ कर भी वैभव (मयूर मोरे) की मुश्किलें ख़त्म नहीं होती हैं | फिजिक्स की क्लास में कुछ भी पल्ले नहीं पड़ रहा था | उधर प्रोडिजी क्लासेज में भी बच्चों को फिजिक्स में समस्या होने लगी थी क्योंकि जीतू भैया (जीतेन्द्र कुमार) प्रोडिजी छोड़कर जा चुके हैं |
जब मीना, उदय, मीनल, वर्तिका और वैभव को पता चलता है कि जीतू भैया अपनी नई कोचिंग खोलने जा रहे हैं तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा | उन सब ने फिजिक्स पढ़ने के लिए जीतू भैया की क्लास लेने का मन बना लिया | केवल पढ़ाई ही नहीं जीतू भैया अपने स्टूडेंट्स की हर छोटी-बड़ी बात का ख्याल रखते हैं | जब वैभव को पीलिया हो जाता है तो जीतू भैया ‘औसम’ का फार्मूला बताते हैं | औ से औषधि, स से स्वच्छता और म से माँ | वैभव को अपनी माँ को कोटा बुलाने की सलाह देते हैं |
मीना (रंजन राज), किशोर जीवन की उन समस्याओं से जूझ रहा था जिसे किसी से कहने में भी संकोच होता है | अपने भीतर खुद में उलझा रहने के कारण वह कई दिनों से क्लास करने भी नहीं जा सका | एक दिन जीतू भैया खुद उससे मिलने पहुँच जाते हैं | बहुत पूछने पर मीना उन्हें बताता है कि उसे हस्तमैथुन की लत लग गई है और इसे लेकर उसे बहुत अपराधबोध महसूस होता है | छात्र जीवन में ब्रह्मचर्य पालन को आदर्श मानने वाले मीना के लिए हस्तमैथुन करना किसी पाप से कम नहीं था | जीतू भैया उसे बेहद अपनेपन से समझाते हैं कि यौन इच्छा का होना सहज, सामान्य प्रक्रिया है और इसके लिए वह खुद को अपराधी समझना बंद कर दे |
वर्तिका (रेवती पिल्लै) और मीनल (उर्वी सिंह) की समस्या थी कि जितनी भी पढ़ाई कर लो टेस्ट में नम्बर कम आते हैं, जिसके कारण टेस्ट से देने का मन ही नहीं होता है | जीतू भैया उन्हें समझाते हैं कि चाहे जितना भी पढ़ लो कभी 100% ज्ञान नहीं होता | यह सोचना गलत है की जब तक सारा कुछ नहीं आ जाता तब तक टेस्ट नहीं देंगे |
जीतू भैया ने पकड़ी अपनी अलग राह
जीतू भैया की एक पुरानी स्टूडेंट बरनाली उनसे सलाह लेने आती है | वह जेईई एडवांस देने को लेकर दुविधा में थी | जीतू भैया उसे समझाते हैं कि सपने शब्द का इस्तेमाल करना छोड़ दे, उसकी जगह लक्ष्य (aim) बोलना शुरू करे क्योंकि सपने बस देखने की चीज़ है जबकि लक्ष्य हासिल किए जाते हैं | जीतू भैया खुद अपने जीवन में भी एक नया लक्ष्य बना कर उसे हासिल करने कोशिश कर रहे थे | प्रोडीजी क्लासेज़ की सुविधाजनक स्थिति को छोड़कर वह अपनी कोचिंग संस्था ‘एट ऐमर्स’ बनाने की जद्दोजहद में लगे हुए थे | सीज़न 2, वैभव और उसके साथियों के साथ ही जीतू भैया के भी अपने लक्ष्य को हासिल करने के संघर्ष की कहानी है |
Kota Factory Season 2 में एक जगह केशव माहेश्वरी जीतू के लिए कहते हैं कि आज के समय में ऐसे टीचर बहुत कम हैं, जिसकी इज्ज़त उसके स्टूडेंट्स करते हैं | जीतू भैया के स्टूडेंट्स उसके खिलाफ एक बाद भी नहीं सुन सकते | सबके पसंदीदा टीचर के रूप में जीतू भैया को पहले सीज़न में ही स्थापित कर दिया गया था, इस सीज़न में यह चरित्र टीचिंग के अपने खास गुण को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए प्रयास करता दीखता है |
एक नए कोचिंग संस्थान को बनाने में जो रुकावटें आती हैं, उन सबका सामना जीतू भैया को करना पड़ रहा है | सारिका मैम जो पहले तो जीतू की कोचिंग में केमिस्ट्री पढ़ाने के लिए तैयार हो जाती हैं, ऐन मौके पर माहेश्वरी ज्वाइन कर लेती हैं | संस्थान को सुचारू रूप से चलाने के लिए फण्ड का इंतजाम करने का संकट भी जीतू भैया के सामने है |
कोटा में रिजल्ट का माहौल
परीक्षा परिणाम निकलने का तनाव केवल छात्रों पर ही नहीं होता, कोचिंग संस्थानों पर भी होता है | इस साल के रिजल्ट पर ही इनके अगले साल का बिज़नेस निर्भर करता है |
सफलता को भुनाने के लिए कोचिंग वाले पहले से ही संभावित टॉपर्स के पोस्टर बनवा कर तैयार रखते हैं | लिस्ट में नाम आने पर बिना देर किये पोस्टर पूरे शहर में लगवा दिए जाते हैं | माहेश्वरी क्लासेज के उत्सव मंगलानी ने जेईई में आल इंडिया फर्स्ट रैंक हासिल किया | माहेश्वरी में जश्न का माहौल था | टॉप लिस्ट में कोचिंग के बच्चों का आना सीधे-सीधे कोचिंग के व्यापार के मुनाफ़े और घाटे से जुड़ा होता है | इसके लिए कोचिंग संस्थान के प्रबंधक हर तरह के हथकंडे अपनाते हैं | एक तरफ प्रोडिजी के प्रबंधक को एक दलाल पैसा लेकर टॉप 50 के अन्दर नाम लाने की गारंटी देता दीखता है तो दूसरी तरफ माहेश्वरी क्लासेज़ उत्सव मंगलानी को BMW सीरीज़ 5 कार उपहार के रूप में देते नज़र आता है |
सफलता की चकाचौंध के पीछे छिपे, असफलता के स्याह किस्से
रिजल्ट वाले दिन जहाँ बाकी कोचिंग वाले केवल सफलता का जश्न मनाते हैं, जीतू भैया असफल छात्रों के लिए पार्टी रखते हैं क्योंकि उन्हें भावनात्मक सहारे की ज्यादा जरुरत होती है |
Kota Factory Season 2 के अंतिम दृश्य में जीतू भैया के घर फेल हुए स्टूडेंट्स की पार्टी चल रही होती है कि अचानक आये एक फ़ोन से पता चलता है कि बरनाली ने आत्महत्या का प्रयास किया है | रात के सन्नाटे में खाली सड़क पर एक एम्बुलेंस दौड़ती नज़र आती है | वह उन्हीं सड़कों से सायरन बजाते गुज़रती है जिसके किनारे अलग-अलग कोचिंग संस्थानों के सफल छात्रों के चमकते हुए बड़े-बड़े पोस्टर लगे हुए हैं | सफलता के इस पूरे कारोबार में असफलता से उपजी टूटन और बिखराव पर बात भी नहीं किया जाता है |
कोटा फैक्टरी सीज़न 2 (Kota Factory Season 2) ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म नेटफ़िल्क्स पर देखी जा सकती है |
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