वेब सीरीज़ ‘आर्या’ और ‘नीरजा’ जैसी फिल्म के निर्देशक राम माधवानी की नवीनतम फ़िल्म ‘Dhamaka,’ हाल ही में ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई है| ‘Dhamaka’ 2013 में बनी एक कोरियन फ़िल्म ‘The Terror Live’ की हिन्दी रीमेक है|
भरोसा और सच जैसे शब्दों का सबसे ज्यादा दुरुपयोग आज कल मीडिया द्वारा किया जा रहा है, शायद इसी बात पर तंज कसते हुए निर्देशक राम माधवानी ने ‘Dhamaka’ फ़िल्म में नायक के चैनल का नाम भरोसा 24 x 7 रखा है| माधवानी की यह फ़िल्म ख़बरों से असली खबर को गायब करके ड्रामा बेचने वाले मीडिया हाउस और संवेदनहीन राजनीति के बीच पिसती बेजुबाँ जनता की बेबसी को दर्ज करने की कोशिश भी करती है|
Plot of ‘Dhamaka’
‘Dhamaka’ की शुरुआत में सोशल मीडिया के पोस्ट के माध्यम से मुख्य किरदार अर्जुन पाठक (कार्तिक आर्यन) और उसकी पत्नी सौम्या मेहरा पाठक (मृणाल ठाकुर) के गुज़रे जीवन से हम परिचित होते हैं| दोनों ही पत्रकारिता के पेशे से जुड़े हैं लेकिन पेशेवर नैतिकता को लेकर उनमें ज़मीन आसमान का अंतर है| अर्जुन, जंगल सरीखे पत्रकारिता के पेशे में अस्तित्व बचाने के लिए सब कुछ दांव पर लगाने के लिए तैयार है| परिणामस्वरूप पांच सालों में वह तेजी से सफलता की सीढियाँ चढ़ते हुए रिपोर्टर से एक सेलेब्रिटी एंकर तक का सफ़र तय कर चुका है| इतना ही नहीं उसे पिछले साल जर्नलिस्ट ऑफ़ द इयर का आवर्ड भी मिल चुका है| वहीँ दूसरी तरफ सौम्या उसूलों की पक्की है| वह सच्ची पत्रकारिता की राह पर चलकर रामनाथ गोयनका आवर्ड पाना चाहती है|
मौजूदा समय में अर्जुन पाठक का व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन दोनों ही संकट के दौर से गुज़र रहा है| एक तरफ उसके और सौम्या के तालाक की अदालती कार्यवाही चल रही है, वहीँ दूसरी तरफ चैनल वालों ने अर्जुन का डिमोशन करके एंकर की जगह उसे अपनी ही कम्पनी में रेडियो जॉकी का काम थमा दिया है|
अर्जुन के जीवन में हलचल मचाने वाला एक फ़ोन कॉल
एक दिन उसके रेडियो कार्यक्रम में रघुवीर नाम का एक कॉलर फ़ोन करके सी लिंक उड़ाने की धमकी देता है| पहले तो अर्जुन उसकी बात को मजाक समझता है, लेकिन जब सचमुच सी लिंक में दो धमाके होते हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं| अर्जुन पुलिस को फ़ोन करने वाला ही था कि उसकी व्यवसायिक चेतना ने रघुवीर के फ़ोन कॉल की एहमियत का आकलन किया और इस खबर को अपने फायदे में इस्तेमाल करने का निर्णय लिया| अर्जुन अपनी बॉस अंकिता (अमृता सुभाष) से सी लिंक धमाके वाली खबर के एवज में प्राइम टाइम वाला अपना पुराना स्लॉट वापस देने की डील करता है|
‘Dhamaka’ में अर्जुन पाठक, बॉस अमृता, उनके चैनल TRTV और प्रतिद्वंद्वी चैनल INL NEWS के माध्यम से वर्तमान दौर की मूल्य और नैतिकता विहीन पत्रकारिता को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया गया है|
रघुवीर महता कौन है?
रघुवीर महता खुद को विनिर्माण के क्षेत्र में काम करने वाला एक मजदूर बताता है| उसका कहना है कि हर भारतीय की तरह वह भी किसी तरह अपने परिवार का पेट पालना चाहता था| इसके लिए जो भी रोज़गार उपलब्ध था, उसने वह सब किया| रोड, ईमारत और पुल के निर्माण में मजदूरी की| इसी क्रम में वह सी लिंक के निर्माण से भी जुड़ा था|
रघुवीर ने सी लिंक पर धमाके क्यों किए ?
दो साल पहले मुंबई शहर में एक बहुत बड़ा कार्यक्रम होने वाला था| जिसके लिए अनेक नामी गिरामी हस्तियों को सी लिंक से होकर गुजरना था| कार्यक्रम के मद्देनज़र सी लिंक की मरम्मत होनी थी| इस काम में रघुवीर समेत कई मजदूर भयानक आंधी-तूफ़ान के बावजूद बिना किसी सुरक्षा उपकरण के काम पर लगाये गए| उन मजदूरों ने केवल एक हज़ार अतिरिक्त रुपये के लिए अपनी जान खतरे मे डाल दी| उस दिन मरम्मत का काम करते हुए रघुवीर के तीन साथी समन्दर में गिर पड़े थे, जिससे उनकी मौत हो गई| मुआवजा मिलना तो दूर उन्हें और उनके परिवार वालों को सरकार की तरफ से ज़रा सी सहानुभूति तक नसीब नहीं हुई| इस बात से आहत रघुवीर, कार्यक्रम के आयोजक मंत्री जयदेव पाटिल से उन मजदूरों की मौत के लिए माफ़ी मंगवाना चाहता है| अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए उसने सी लिंक पर धमाका कर दबाव बनाने का रास्ता चुना|
धमाकों के बावजूद मंत्री पाटिल माफ़ी माँगने के लिए सामने नहीं आए| इस बात से रघुवीर का गुस्सा और झुंझलाहट बढ़ने लगती है, वह एक के बाद एक धमाके करना शुरू कर देता है| इधर अर्जुन सी लिंक पर घटना की रिपोर्ट करने गई सौम्या की सुरक्षा को लेकर चिंतित है| उसके सामने दुविधा यह है कि जिस करियर के लिए आज तक सही-गलत सब कुछ करता चला आया उसके हित में काम करे या इन सबके विपरीत जाकर सौम्या की जान बचाने की कोशिश करे|
‘Dhamaka’ Ending Explained
अर्जुन, सौम्या को बचाने की हर संभव कोशिश करता है और रघुवीर को इस शर्त पर समर्पण के लिए तैयार भी कर लेता है कि मंत्री जी उसके स्टूडियो में आकर रघुवीर से प्रत्यक्ष माफ़ी मांगेंगे| लेकिन ऐसा कुछ भी हो नहीं पाता| सी लिंक का वह हिस्सा ढह जाता है जिसमें सौम्या समेत कई लोग फंसे हुए थे| दूसरी तरफ रघुवीर को पकड़ने के लिए स्पेशल टास्क फ़ोर्स भेज दी जाती है|
धमाका करने वाले शख्स की असली पहचान क्या है?
अंत में पता चलता है कि रघुवीर महता उन मजदूरों में से एक था जो दो साल पहले सी लिंक वाली दुर्घटना में मर गए थे| अब बड़ा प्रश्न यह उभरता है कि अगर रघुवीर महता दो साल पहले मर चुका था तो इन धमाकों को अंजाम देने वाला व्यक्ति कौन है, जो खुद को रघुबीर महता बता रहा है?
दरअसल सी लिंक समेत कई जगहों पर बम धमाके करने वाला व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि मृत रघुबीर महता का बेटा आनंद महता है| आनंद महता कोंकण रेलवे में केमिकल इंजिनियर और एक्सप्लोजन एक्सपर्ट था|
आनंद महता ने लोगों तक अपनी आवाज़ पहुँचाने के लिए अर्जुन पाठक को ही अपना जरिया क्यों बनाया?
अंत में आनंद खुद बताता है कि उसके पिता रघुवीर महता अर्जुन पाठक पर बेहद भरोसा करते थे| वह कहते थे की यह आदमी जब भी बोलता है कि “मैं जो भी कहूँगा, सच कहूँगा” तो भरोसा होता है| आनंद के पिता जैसे लाखों लोग अर्जुन पाठक जैसे पत्रकारों की वास्तविकता से अनजान उनकी दिखाई खबरों और कही बातों पर आँख मूँद कर विश्वास करते हैं |
स्नाइपर शॉट से घायल आनंद मरने से पहले अर्जुन से कहता है कि, “मेरे पिता तुम पर आँख मूँद कर भरोसा करते थे पर तुम कितने बेवकूफ हो!” यह कह कर वह अर्जुन को उसकी वास्तविकता से परिचित कराता है| अर्जुन अपने पत्रकारिता के जीवन में जिस सफलता के पीछे भागा उसके चक्कर में वह उस पूँजी की कद्र नहीं कर सका जो रघुवीर जैसे लोगों के भरोसे के रूप में उसे मिली थी|
अर्जुन पाठक अंत में आत्मघाती कदम क्यों उठाता है?
‘Dhamaka’ का समापन अर्जुन पाठक के द्वारा ईमारत में लगे बम के रिमोट बटन को दबाने और धमाके के साथ होता है| धमाके की आग भावहीन अर्जुन पाठक को अपनी गिरफ्त में ले लेती है| अर्जुन ने खुद को समाप्त करने का फैसला क्यों किया? इस प्रश्न की एक व्याख्या तो यही है कि वह चारों तरफ से घिर चुका था| टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज़ चलने लगी थी कि अर्जुन पाठक ने आनंद महता के साथ मिल कर इन धमाकों को अंजाम दिया है और यह भी कि अपने करियर को पटरी पर लाने के लिए अर्जुन पाठक ने देश को खतरे में डाल दिया| खुद अर्जुन की मीडिया बिरादरी ने उसे एंटी नेशनल घोषित कर दिया था| सुरक्षा बल उसे पकड़ने आ रहे थे| जिंदा रहने पर उसके हिस्से अपमान, तिरस्कार ही आने वाला था| दूसरी और ज्यादा सही व्याख्या यह हो सकती है कि अर्जुन ने ज़िन्दगी के जिन रास्तों का चुनाव किया वह उसे उस मुकाम पर ले कर गए जहाँ से उसके लिए एक धमाके के साथ सब कुछ खत्म हो गया| धमाका केवल ईमारत में नहीं हुआ, बल्कि उसकी भीतरी ज़िन्दगी में भी हुआ जिससे उसका अस्तित्व बिखर गया| अपनी ज़िन्दगी को सफल बनाने की होड़ में सबसे पहले उसने सौम्या को खोया, फिर सच बोलने का पत्रकारीय दायित्वबोध खोया और फिर उस भरोसे को खोया जिस पर उसके सेलिब्रेटी एंकर की छवि टिकी हुई थी|
निर्देशक राम माधवानी और अभिनेता कार्तिक आर्यन की फ़िल्म ‘Dhamaka‘ ओटीटी प्लेटफार्म Netflix पर देखी जा सकती है|