Tuesday, April 23, 2024

‘Boomika’ Ending, Explained in Hindi: भूमिका कौन है और क्या चाहती है ?

‘भूमिका’ (Boomika) लेखक, निर्देशक आर.रतिन्द्र प्रसाद की तमिल भाषा में बनी एक हॉरर फ़िल्म है | फ़िल्म में रियल इस्टेट कारोबार से जुड़े गौतम, उनके परिवार व मित्रों के साथ होने वाली रहस्यमय घटनाएं केन्द्र में हैं | ज्यादातर घटनाएँ दस साल से वीरान पड़ी भूसंपत्ति पर घटित होती हैं | जिसके पुनर्निर्माण के लिए गौतम परिवार समेत ऊटी पहुँचता है | 

ऊटी के बँगले में होने वाली डरावनी चीज़ों के बीच गौतम और उसकी पत्नी उस जगह के बारे में जानने और रहस्यमयी घटनाओं के तह में जाने की कोशिश करते हैं | उस विशाल भूसंपत्ति से कौन से राज़ जुड़े हैं ? दस साल पहले ऐसा क्या हुआ था कि अच्छा खासा आबाद इलाका सुनसान भुतहे खंडहर में तब्दील हो गया ?


‘Boomika’ Story in Hindi

‘भूमिका’ (Boomika) की शुरुआत कृष्णा नाम के एक व्यक्ति की कार दुर्घटना में मौत से होती है | दुर्घटना से ठीक पहले वह अपनी गर्भवती पत्नी से किसी डील और उससे मिलने वाले चेक की बात कर रहा था | दूसरे दिन गौतम, अपनी बाल मनोचिकित्सक पत्नी संयुक्ता, बच्चे सिद्धू, बचपन की दोस्त गायत्री और बचकानी हरकतें करने वाली नासमझ बहन अदिति के साथ ऊटी पहुँचता हैं | उनके साथ स्थानीय व्यक्ति भोला भी है जो उस भूसंपत्ति की देखभाल करता है | 

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गौतम जिस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है उससे मंत्रीजी भी जुड़े हुए हैं | प्रोजेक्ट के तहत स्कूल परिसर के बड़े भूभाग में 500 विला वाला एक इको-फ्रेंडली टाउनशिप बनाने की योजना है | गायत्री अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आर्किटेक्चर है और वह प्रोजेक्ट में गौतम के साथ काम करने भारत आई है | 

बंगले में पहली ही रात उनके साथ डरावनी चीजें होने लगती हैं | गायत्री के फ़ोन में कृष्णा का मैसेज आने लगता है जो एक दिन पहले दुर्घटना में मर चुका है | फ़ोन का नेटवर्क नही है फिर भी मैसेज आते हैं | यहाँ तक कि फोन की बैटरी निकाल देने के बाद भी मैसेज का आना रुकता नही है | मैसेज में माउन्ट रोजयार्ड स्कूल से जुड़े राज़ की बात लिखी होती है |


स्कूल से क्या रहस्य जुड़ा हुआ था ?

गौतम को लाइब्रेरी से कुछ पत्रिकाएं मिलती हैं जिनमें स्कूल परिसर में 10 साल पहले एक लड़की के मरने की बात पता चलती है | पत्रिका में उसकी फ़ोटो भी छपी थी | गौतम, गायत्री के फ़ोन से कुछ ही देर पहले खींची गई फ़ोटो को ध्यान से देखता है तो उसमें उसी लड़की का साया दिखता है | गौतम, गायत्री और संयुक्ता को अब जाकर समझ आता है कि फ़ोन के संदेशों के माध्यम से कृष्णा नहीं बल्कि वह लड़की संपर्क करना चाह रही है | लेकिन वह लड़की कौन थी और वह क्या चाहती थी ? 


वह रहस्यमयी लड़की कौन थी ?

‘भूमिका’ (Boomika) की कहानी फ्लैशबैक में जाती है, 10 साल पहले जब स्कूल सामान्य अवस्था में चल रहा था | स्कूल के लाईब्रेरियन गणेशन की 14-15 साल की एक बेटी थी | जिसका नाम भूमिका था | वह आटिज्म से ग्रसित थी | आटिज्म से पीड़ित बच्चे बहुत अलग तरह का व्यवहार करते हैं | भूमिका भी आम बच्चों से इतर थी | वह दिन भर पेन्टिंग करती रहती थी | अपने आस-पास की चीजों में कोई बदलाव उसे असामान्य बना देता था | भूमिका केवल प्राकृतिक चीज़ों के बीच ही सामान्य व सहज महसूस करती थी | कृत्रिम चीज़ें उसे पसंद नही थी | इसलिए वह कभी भी सिंथेटिक कपड़े नहीं पहनती थी | भूमिका को केवल पिता गणेशन समझता था | गणेशन हमेशा भूमिका के मन को शांत अवस्था में रखने का प्रयास करता | 

विश्वविख्यात कलाकार इस्माइल अख्तर स्कूल में एक सप्ताह की पेन्टिंग वर्कशॉप करने आते हैं | उनकी नज़र भूमिका की पेन्टिंग पर पड़ती है | जिससे वह बेहद प्रभावित होते हैं | वे गणेशन से अपनी बेटी को स्कूल के बाकि बच्चों के साथ वर्कशॉप में भेजने के लिए कहते हैं | इस्माइल अख्तर, भूमिका की भीतरी मौलिकता को पहचानते है | इस्माइल साहब की पहलकदमी पर भूमिका पेंटिंग की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीत कर चर्चा में आ जाती है | माउन्ट रोजयार्ड स्कूल प्रबंधन भूमिका की इस ख्याति का उपयोग अपने स्कूल के फायदे में करने के लिए उसे स्कूल में प्रवेश दे देता है | गणेशन के लिए दोहरी ख़ुशी की बात थी, पहली प्रतियोगिता जीतना और दूसरी स्कूल में एडमिशन | यह खुशखबरी देने वह भूमिका के पास जाता है | उस दिन भूमिका के व्यवहार में अजीब सी बैचैनी थी, जिस पर गणेशन का ध्यान नही गया | भूमिका पिता के साथ प्रिंसिपल से मिलने के लिए घर से निकली तो लेकिन वह ना तो प्रिंसिपल के पास पहुंची और न ही घर वापस आई | वापस कुछ आई तो  उसकी लाश | 


भूमिका के साथ उस दिन क्या हुआ था ?

150 साल पुराने माउन्ट रोजयार्ड स्कूल प्रबंधन की कमान जब से चालाक व्यवसायी सैमुएल सागायम के हाथ में आई तब से उसके दिमाग में स्कूल की 345 एकड़ ज़मीन से व्यवसायिक लाभ उठाने का ख्याल आने लगा था | उसने स्कूल व कर्मचारियों के आवासीय स्थान से इतर जितनी भी ज़मीन थी, उसे अपनी योजनाओं के तहत विकसित करना शुरू कर दिया | जैसे-जैसे यह योजनाएं गाति पकड़ने लगी वैसे-वैसे भूमिका के मन की स्थिरता जाती रही | 

मौत वाले दिन भूमिका ने उस विशाल घने पेड़ को कटते हुए देखा जिसके नीचे वह अक्सर बैठा करती थी | वह पेड़ से लिपट कर रोने लगी | गणेशन ने पेड़ काटने वालों से ऐसा ना करने की विनती की | लेकिन उन लोगों को अपना काम जारी रखने का आदेश मिला हुआ था | कटाई न रुकते देख भूमिका उस पेड़ पर अपना सिर पटकने लगी | अंततः भूमिका ने पेड़ को बचाने के लिए अपनी जान दे दिया | 


‘Boomika’ Ending, Explained in Hindi

भूमिका के मरने के बाद उस इलाके में कई मौतें रहस्यमय परिस्थितियों में होने लगीं | आस-आपस के सब लोग वह जगह छोड़कर जाने लगे | स्पष्ट था कि भूमिका की आत्मा का खौफ़ उस इलाके में फैल चुका था | लेकिन उसने कभी किसी टीचर या छात्र को नुकसान नही पहुँचाया | उसका गुस्सा केवल कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े लोगों के प्रति था | 

कृष्णा का इन सबसे क्या लेना-देना था ? बाद में पता चलता है कि ‘भूमिका’ (Boomika) के शुरूआती दृश्य में कृष्णा माउन्ट रोजयार्ड स्कूल से जुड़े प्रोजेक्ट की डील और उससे मिले चेक की बात कर रहा था | कृष्णा ने ही गौतम को इस प्रोजेक्ट के बारे में बताया था | 

गौतम का क्या हश्र होता है ? फ़िल्म के अंतिम कुछ दृश्यों में हम गौतम को धरती माँ के क्रोध शांति के लिए पूजा करते देखते हैं | जिससे यह पता चलता है कि सब कुछ जानकार भी वह इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रहा है | फ़िल्म के अंतिम दृश्य में संयुक्ता गौतम को भूमिका के पुराने कमरे में बंद पाती है | भूमिका की हँसी के साथ फ़िल्म समाप्त हो जाती है | जिसका साफ-साफ अर्थ है कि वह गौतम को मार देगी |

संयुक्ता का क्या होगा ? हालाँकि फ़िल्म में संयुक्ता का कोई अंत नहीं दिखाया गया है लेकिन हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उसके साथ क्या हुआ होगा | ‘भूमिका’ (Boomika) के अंतिम कुछ दृश्यों में पता चलता है कि गौतम को इस प्रोजेक्ट के लिए संयुक्ता ने प्रेरित किया था और भूमिका इस निर्माण कार्य से जुड़े किसी भी व्यक्ति को बख्शती नही है | 


भूमिका वास्तव में कौन है ? 

दरासल फ़िल्म में भूमिका धरती का प्रतीक है | धरती की तरह ही उसे भी कृत्रिम चीजों की बजाए प्राकृतिक चीजें पसंद है | उसके जीने का अपना तरीका है जिसमे ज़रा सी भी छेड़छाड़ उसे बर्दाश्त नहीं है | 

भूमिका के माध्यम से धरती अपनी गोद में पुनः प्रकृति को फलने-फूलने का अवसर देने की कोशिश कर रही है, जिसे इंसान अपने फायदे के लिए तहस-नहस कर चुका है |


‘भूमिका’ (Boomika) आप नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं |

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Suman Lata
Suman Lata
Suman Lata completed her L.L.B. from Allahabad University. She developed an interest in art and literature and got involved in various artistic activities. Suman believes in the idea that art is meant for society. She is actively writing articles and literary pieces for different platforms. She has been working as a freelance translator for the last 6 years. She was previously associated with theatre arts.

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