कोविड महामारी के कारण लंबे समय से सिनेमाघर बंद पड़े हुए हैं | इसलिए एक साल इंतजार करने के बाद टी सीरीज़ और अजय देवगन फ़िल्म्स ने अपनी महत्वकांक्षी फिल्म भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया (Bhuj : The pride of India) 13 अगस्त 2021 को ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज़ कर दिया है | जानकारी के लिए बताते चले की पहले इस फिल्म को अगस्त 2020 में प्रदर्शित किया जाना था |
15 अगस्त से ठीक पहले दो बड़ी फ़िल्में ओ टी टी प्लेटफ़ॉर्म पर आ चुकी हैं | भुज (Bhuj) से एक दिन पहले (12 अगस्त) धर्मा प्रोडक्शन और काश एंटरटेंमेंट की ‘शेरशाह’ अमेज़न प्राइम टाइम पर रिलीज़ हुई थी | दोनों ही फिल्म युद्ध और भारतीय सेना की वीरता पर आधारित फिल्म है |
भुज (Bhuj) फ़िल्म वास्तविक एतिहासिक घटना पर आधारित है | सन 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच 3 दिसम्बर से 16 दिसम्बर तक युद्ध चला था | जब युद्ध समाप्त हुआ तो दुनिया के नक़्शे पर एक नया देश बांग्लादेश उभर कर सामने आया | पूर्वी पाकिस्तान की मुक्ति की इस लड़ाई में भारत ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी | भारत को इस युद्ध में एक साथ दो मोर्चे पर लड़ाई लड़नी पड़ी थी | एक पूर्वी मोर्चे पर और दूसरा पश्चिमी मोर्चे पर | अजय देवगन की यह फिल्म पश्चिमी मोर्चे पर घटित हुई घटना पर आधारित है | फ़िल्म की शुरुआत में हम देखते हैं कि पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन चंगेज़ खान’ के नाम से भारतीय वायु सेना के 11 स्टेशन को तबाह करने की एक योजना बनाई | इनमें भुज एयर बेस भी शामिल है | पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने ताबड़तोड़ हमले करते हुए भुज एयर बेस की हवाई पट्टी को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया | युद्ध के समय सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वूर्ण भुज एयर बेस का काम नहीं कर पाना भारत की स्थिति को कमज़ोर कर देता और शायद कच्छ भी भारत के हाथ से निकल जाता | भुज एयर बेस से लड़ाकू विमान उड़ाने या वायु सेना द्वारा आगे की महत्वपूर्ण चौकियों पर मदद पहुंचाने के लिए ज़रूरी था कि जल्दी से जल्दी हवाई पट्टी की मरम्मत की जाए | भुज एयर बेस को बाहर से कोई तकनीकी मदद नहीं मिल पाने की वजह से यह काम लगभग असंभव लगने लगता है | इस बेहद मुश्किल चुनौती को स्वीकार किया भुज एयरपोर्ट के इंचार्ज स्क्वाड्रन लीडर विजय कार्णिक ने | फिल्म में जिनकी भूमिका अजय देवगन ने निभाई है | विजय कार्णिक इन मुश्किल हालातों में गाँव की 300 महिलाओं का सहयोग लेने का फैसला करते हैं | क्या भुज हवाई पट्टी को तय समय सीमा के भीतर ठीक किया जा सका ? क्या इस सैन्य अभियान में गांव वालों (खासतौर पर महिलाओं) को शामिल करने का निर्णय सफल साबित हुआ ? यह सब जानने के लिए आपको ‘भुज द प्राइड ऑफ़ इंडिया’ फिल्म देखना पड़ेगा |
भुज (Bhuj) का निर्देशन अभिषेक दुधैया ने किया है | अभिषेक दुधैया इससे पहले एहसास – कहानी एक घर की, अग्निपथ-है यही ज़िन्दगी, सिंदूर तेरे नाम का और लाइफ का रिचार्ज जैसे टीवी सीरियल्स का निर्देशन कर चुके हैं | पहली बार फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में उतरे हैं | रमन कुमार, रितेश शाह और पूजा भावोरिया ने निर्देशक के साथ मिलकर फ़िल्म का स्क्रीन प्ले लिखा है | निर्देशक और लेखकों की पूरी टीम मिलकर भी एक बेहद संभावनाशील कहानी/घटना को पूरी संजीदगी के साथ पर्दे उतारने में नाकाम रहती है | भारतीय वायु सेना और माधापुर गाँव की महिलाओं के अदम्य साहस और विषम परिस्थितियों के सामने डटकर खड़े रहने की इस अविस्मरणीय कहानी को कर्मशियल फ़िल्मी फ्रेम में फ़िट कर दिया गया है | न ही स्क्रीनप्ले पर ढंग से काम किया गया है, ना ही चरित्रों पर | मिसाल के लिए संजय दत्त के चरित्र रणछोड़दास पगी की बात ही ले लीजिये | रणछोड़दास पगी के बारे में कहा जाता है कि वह कच्छ के रेगिस्तानी इलाकों और जीवन की उनकी समझ इतनी गहरी थी कि रेत पर पैरों के निशान देख कर वह बता देते थे कि निशान भारतीय सैनिकों के हैं या पाकिस्तानी सैनिकों के | इतने अनुभवी और रोचक पात्र के लिए केवल गेटअप और एक्शन के स्तर पर ही काम किया गया है |
फिल्म में वास्तविक नायक स्क्वाड्रन लीडर विजय कार्णिक की भूमिका निभाने वाले अभिनेता अजय देवगन अपनी सिंघम वाली लोकप्रिय इमेज को ही दोहराते दिखते हैं | पूरी फिल्म में अजय देवगन, अजय देवगन ही लगते रहते हैं ना कि विजय कार्णिक |
गाँव की महिलाओं का युद्ध क्षेत्र में उतरना एक बेमिसाल घटना थी जिसे फ़िल्म में ऊपर-ऊपर से निकाल दिया गया है | महिलाओं की अगुवाई करने वाली सुंदरबेन जेठा का किरदार सोनाक्षी सिन्हा ने निभाया है | सोनाक्षी के साथ शरद केलकर का पात्र भी कमज़ोर लेखन का शिकार हुआ है |
भुज (Bhuj) के साथ पंजाबी फिल्मों के स्टार एमी विर्क की हिन्दी फिल्मों में शुरुआत हुई है | वह इस फ़िल्म में अपने किरदार को ईमानदारी से निभाने की कोशिश करते नज़र आते हैं | नोरा फतेही अभिनय करते हुए सहज लगी हैं | उनके हिस्से में कुछ एक्शन सीन भी थे जिन्हें वह निभा गई हैं |
एक्शन पैक्ड इस फ़िल्म में औसत संवाद और दृश्यों में ज़रूरत से ज्यादा हावी होता बैकग्राउंड म्यूजिक अंत तक आते-आते बोझिल लगने लगता है |
वैसे यह फिल्म अजय देवगन के हार्डकोर फैन्स को ज़रूर पसंद आएगी जो सुपरस्टार अजय देवगन की स्टाइल और उनके एक्शन के दीवाने हैं |
फ़िल्म का एकमात्र सुकून देने वाला अनुभव “देश मेरे…” गाना है | जो फिल्म में सबसे आखिर में क्रेडिट्स के साथ आता है | मनोज मुन्तज़िर के लिखे इस गीत को अर्जित सिंह ने गाया है और इसकी धुन आर्को (Arko) ने तैयार की है |
फ़िल्म भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया (Bhuj : The pride of India) आपको डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर देखने को मिल जाएगी |
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