स्वरा भाष्कर अभिनीत नेटफ्लिक्स की इस नई नवेली वेबसिरिज़, भाग बिन्नी भाग (टीवी सीरीज) को रोमांस और हास्य कहके प्रचारित किया गया है लेकिन कुछ छः अध्याय में लगभग पैंतीस-पैंतीस मिनट में विभक्त यानि कि कुल लगभग ढ़ाई घंटे की इस सिरीज़ के पहले भाग में आप रोमांस और हास्य दोनों की तलाश में भागते रहते हैं और आख़िरकार हाथ कुछ भी ख़ास नहीं लगता है, जबकि सिरीज़ के मूल में स्टैंडअप कॉमेडी है। इसका सीधा सा अर्थ यह हुआ कि इस वेबसिरिज़ का लेखक बड़ा सतही सा है या वैसा जो ख़ुद ही जोक सुनाकर ठहाके लागता हो और बाक़ी लोग उसे ठहाका लागते देखकर इस बात पर हंसते हों कि इसमें हंसने जैसा क्या है जो यह आदमी पागल की तरह हंस रहा है!
स्वरा भाष्कर ट्विटर पर मुखर स्वर हैं। इस वजह से रोज़ इन्हें कुछ तारीफ़ और बहुत सारी ट्रोल भी झेलना पड़ता है, जो कि निश्चित ही एक जूनून का काम है। आज के समय में इसे एक पागलपन भी कह सकते हैं लेकिन हर काल में कुछ पागलों कि आवश्यकता होती है। बहरहाल, ट्विटर अपनी जगह है और फिल्म, सिनेमा और वेबसिरिज़ अपनी जगह और इसका मूल्यांकन निश्चित ही कलात्मकता और सार्थकता के धरातल पर ही होगा और इस धरातल पर यहां अमूमन निराशा ही हाथ लगती है। यह ठीक है कि यह कुछ हद तक एक लड़की की मध्यवर्गीय सोच से भागने और उसे अपनी ज़मीन और वजूद तलाशने की कहानी है लेकिन यह भी बड़ा अच्छा-अच्छा जैसा ही है। शायद इस सोच की वजह से कि यह एक रोमांटिक कॉमेडी बनाया जा रहा है लेकिन यह भी एक रेखकिए सोच ही है कि इस तरह की कला को हर प्रकार के कठिन द्वन्द से बचाया ही जाना चाहिए। इस चक्कर में मामला बड़ा सतही और हल्का सा भी हो जाता है और कई बार हास्य पैदा करने के चक्कर में बेसिरपैर के और कई स्थान पर भटकता हुआ ख़ुद ही हास्यास्पद हो जाता है और चरित्रों की कोई लयात्मकता, तार्किकता नहीं बनती। वो कब क्या करते हैं और क्यों करते हैं यह बड़ा ही आशुअभिनय (इम्प्रोवैजेशन) जैसा हो जाता है। यह सच है कि इंसान बदलते हैं लेकिन उसके पीछे का कारण होता है, यहां बिन्नी के चरित्र को थोड़ा बहुत छोड़कर बाक़ी लगभग सबमें पर कारण ग़ायब है और है भी ज़्यादातर बेअसर जबकि चरित्र के भीतर बड़ा-बड़ा बदलाव देखने मिलता है! हो सकता है कि महानगरों में अब ऐसे लोग भी हो गए हो तो किसी भी बात को ज़्यादा गंभीरता से नहीं लेते लेकिन इसका साफ़ अर्थ यह निकलता है कि गहराई और संवेदनशीलता की घोर कमी है और जो भी हुआ या बदला है वो बस इसलिए क्योंकि ऐसा लेखक ने लिखा और निर्देशक उससे सहमत है – बस।
स्त्री स्वतंत्रता एक बहुत बड़ा और बेहद ही संवेदनशील विषय है। यह मामला केवल घर और शादी और बच्चे से भाग जाने का नहीं है बल्कि उससे कहीं ज़्यादा और पेंचीदा है लेकिन यह सिरीज़ सारी पेंचीदगियों से अपनेआप को ठीक उसी प्रकार बचाती है जैसे गांव का एक पहलवान दूसरे पहलवान की पकड़ से अपनेआप को बचाने के लिए पुरे शरीर पर ख़ूब सरसों का तेल चिपोरकर मैदान में उतरता है। स्वरा भाष्कर निश्चित ही एक समझदार और पढ़ी लिखी अभिनेत्री हैं लेकिन उन्हें थोड़ा अभिनय की गहराई में उतरने के साथ ही साथ अच्छे निर्देशक और आलेख का चयन करने की आवश्यकता है, वरना सब आई और गई बात होकर रह जाएगी। वैसे भाग बिन्नी भाग (टीवी सीरीज) बहुत देखा जाएगा क्योंकि यह बहुत ही हल्का है और किसी भी स्थान पर किसी भी चीज़ के लिए भार नहीं लेता और भार न लेना आजकल आधुनिक होने का परिचायक हो गया है! वैसे जहां यह सिरीज़ विराम लेती है उससे यह साफ़ है कि इसका दूसरा भाग भी आएगा ही आएगा।
भाग बिन्नी भाग (टीवी सीरीज) Netflix पर उपलब्ध है।
फिल्मची के और आर्टिकल्स यहाँ पढ़ें।
For more Quality Content, Do visit Digital Mafia Talkies.