Monday, October 7, 2024

द क्वीन’स गैम्बिट : मोहरों का अद्भुत खेल

द क्वीन’स गैम्बिट नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध सात भाग में एक छोटी सी अमेरिकी वेबसिरिज़ है जिसके केंद्र में काल्पनिक खिलाड़ी बेथ हर्रमन और शतरंज का वास्तविक खेल है, जिसका आधार वाल्टर तेविस लिखित सन 1983 में इसी नाम से प्रकाशित उपन्यास है। शतरंज का यह खेल दो स्तर पर घटित होता है, एक बेथ हर्रमन के व्यक्तिगत जीवन में और दूसरा शतरंज के मोहरों के बीच और एक खिलाड़ी को किसी की क़ीमत पर दोनों ही जगहों पर संघर्ष करना ही होता है। दोनों ही स्तर पर रोज़ चुनौतियों का समाना करना होता है हर स्तर पर और हर बार उसकी कठिन परीक्षा होती है लेकिन उसके सामने हर परिस्थिति में जीतने या जीतने की अंतिम दम तक कोशिश करने के अलावा कोई अन्य विकल्प होता नहीं है। एक खिलाड़ी की असली आत्मा वह होती है जो भरपूर तैयारी के साथ जीत के लिए खेले और जब कभी से हार का सामना करना पड़े तो उसका चैन छीन जाए और तब तक चैन न आए जब तक कि वो अपनेआप को पूरी तरह फिर से तैयार करके जीत का स्वाद ना चख ले और ऐसा किसी चमत्कार के तहत नहीं बल्कि कठिन श्रम और तपस्या से हो। ऐसा करने के लिए तकनीक, तैयारी, जोश, जूनून, पागलपन, ख़ूब सारी मेहनत, जानकारी आदि की आवश्यकता होती है, केवल संवेदना और भावना को भड़कानेवाले चमत्कारी परिस्थिति और संवाद से मुर्ख बनाया जा सकता है भावनाएं भड़काई जा सकती हैं, ताली पिटवाया जा सकता, अच्छा-अच्छा झूठा एहसास बांटा जा सकता है लेकिन उससे मूढ़ता के प्रचार के सिवा होता जाता कुछ भी नहीं है।

खेलों पर सिनेमा और धारावाहिकों के निर्माण का अपना एक बहुत पुराना इतिहास है लेकिन उतना ही पुराना यह इतिहास ऐसी कला में भावनाओं को उद्वेलित करने वाले “केवल सात मिनट है तुम्हारे पास, या देश की इज्ज़त तुम्हारे हाथ में है” या फिर सामने किसी राजनीतिक दुश्मन देश को रखकर आदि के धोखेबाज़ परिस्थितियों को बड़ी चालाकी से रचकर भावनात्मक दोहन करने का भी है। द क्वीन’स गैम्बिट में भी एक जगह ऐसा वक्त आता है जब देश और धर्म की बात आती है और उसके लिए खिलाड़ी बेथ को विभिन्न प्रकार का प्रलोभन भी दिया जाता है कि अगर तुम चर्च की बात मानकर फलां नास्तिक देश के फलां खिलाड़ी को उनके ही खेल मन हराती हो और ख़ुद को प्रभु की अनुआयी बताती हो तो हम तुम्हें यह वह और वह प्रदान करेगें लेकिन उसमें खिलाड़ी मानसिकता का इंसान बेथ खेल को चुनती है और प्रलोभन की अपार ज़रूरत होते हुए भी ठुकरा देती है और इस प्रकार मोहरा बनने से अपने आपको बचा लेती है। वैसे भी खिलाड़ी और कलाकार का काम खेलना और मनुष्यता के हक़ में कला रचना है न कि सारी नैतिकता को ताक पर रखकर अपनी व्यक्तिगत महत्वकांक्षा और चंद टुच्ची सुविधाओं के लिए किसी के हाथ में अपनेआप को गिरवी रख किसी राजनैतिक या धार्मिक धारा का मोहरा बनना। खिलाड़ी के मन में खेल बसता है और कलाकार के मन में कला बाक़ी सारी बातें हवा हैं।

द क्वीन’स गैम्बिट सिरीज़ किसी भी प्रकार के हवाबाज़ी से ख़ुद को बड़े ही शानदार तरीक़े से बचाकर रखती है और खेल और खेलभावना को किसी भी क़ीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं है, यह इसकी सबसे बड़ी ताक़त है और खेल की सच्ची भावना यह है कि अच्छा है वो अच्छा है बाक़ी सब कहने सुनने की बातें हैं। वैसे भी हार और जीत खेल का हिस्सा है और उसके लिए किसी को भी नायक या खलनायक बनाने की कोई ज़रूरत ही नहीं है, क्योंकि यह नायक खलनायक का खेल ही मानवीय कम और राजनैतिक ज़्यादा है।

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शतरंज एक जगह पर बैठकर खेला जानेवाल एक मानसिक खेल हैं, इस जैसे खेल पर कोई फिल्म या धारावाहिक बनाना और रोचकता बरकरार रखना थोड़ा मुश्किल काम है जिसे निर्देशक स्कौट फ्रेंक और सम्पादक माइकल तसोरे के दल ने बड़ी ही कुशलतापूर्वक संपन्न किया है और शतरंज जैसी खेल जो कि मन के धरातल पर ज़्यादा घटित होता है को स्क्रीन पर उद्घाटित करने में कुशलता पाई है और इसमें निश्चित रूप से बतौर विशेषज्ञ विश्वचार्चित खिलाड़ी गैरी कास्पोरोव और कोच ब्रूस पन्दोल्फिन की सलाह का महत्वपूर्ण योगदान है। आपको अगर शतरंज के बारे में कोई ख़ास जानकारी नहीं भी है तो भी आपको इसमें मज़ा आनेवाला है और संभव है कि इसे देखने के बाद आपको शतरंज में दिलचस्पी और जानकारी लेने की चाहत बढ़ जाए, एक मिनीवे बसिरिज़ की सफलता इससे ज़्यादा और क्या मानी जानी चाहिए? सिरीज़ हिंदी में भी बहुत ही बढ़िया तरीक़े से अनुवादित किया गया है लेकिन किसी भी कला का असली मज़ा तो उसकी मूल भाषा में ही है क्योंकि शब्दों का अनुवाद हो सकता है भावनाओं का नहीं वैसे यह मिनी सिरीज़ शब्दों से कहीं ज़्यादा मौन में घटित होती है और इस बात के लिए प्रेरित भी करती है कि परिस्थियां प्रतिकूल होने के बावजूद भी इंसान को अपनी तलाश करना चाहिए और एक बात एहसास हो जाए कि आपका क्षेत्र क्या है फिर तमाम किन्तु-परंतु को दरकिनार करके पुरे जोश और जूनून से उसी में न केवल भिड़ जाना चाहिए बल्कि भिड़े ही रहना चाहिए, वक्त लगेगा लेकिन कुछ न कुछ शानदार भी घटित होकर ही रहेगा। एक को साधिए और साधते रहिए बाक़ी अपने आप सध जाएगा। वैसे संभव है कि सीरीज़ ख़त्म होते होते आप अभिनेत्री Anya Taylor Joy की जादू के गिरफ़्त में गिरफ़्तार हो जाएं और आपको भी अपने रूफ़ पर शतरंज की विसात बिछी हुई दिखे।


द क्वीन’स गैम्बिट सिरीज़ Netflix पर उपलब्ध है।

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पुंज प्रकाश
पुंज प्रकाश
Punj Prakash is active in the field of Theater since 1994, as Actor, Director, Writer, and Acting Trainer. He is the founder member of Patna based theatre group Dastak. He did a specialization in the subject of Acting from NSD, NewDelhi, and worked in the Repertory of NSD as an Actor from 2007 to 2012.

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