अगर यह बताया जाए कि यूट्यूब पर एक ऐसी फिल्म भी उपलब्ध है जो साफ़-साफ़ घोषणा करता है कि आप पहले फिल्म देखिए और उसके बाद आपको लगता है कि इस फिल्म के लिए पैसा देना चाहिए तो दीजिए, वो भी जितना मन करे उतना, तो दीजिए वरना रहने दीजिए। टोनी फिल्म के विवरण (description) में एक लिंक दिया हुआ है, वहां जाकर आप इस फिल्म को पैसे भेज सकते हैं; और मान लीजिए कि आपको फिल्म पसंद आई और आप पैसा देने में असमर्थ हैं तब भी वहां एक विकल्प यह है कि आप जब फिल्म देख रहें हैं तब फिल्म के दौरान कुछ विज्ञापन आएगें, आप उन विज्ञापनों को पूरा चलने दें ताकि उससे मिले पैसे से यह फिल्म अपनी लागत निकाल सके। फिल्म शुरू ही इस घोषणा से होती है – “दोस्तों, आप जो फिल्म यहां देखनेवाले हैं, उसे हमने बहुत ही सीमित संसाधनों में जी-जान लगाकर बनाया है। मैं और इस फिल्म से जुड़े सभी लोग फिल्म इंडस्ट्री में नए लोग हैं, जो बिना किसी गॉडफादर के बेहतरीन फिल्म बनाना चाहते हैं। इसलिए इस फिल्म के साथ हम एक अनूठा बिजनस मॉडल भी शुरू कर रहे हैं – PAY ONLY YOU LIKE THE FILM यानि कि आपको फिल्म पसंद आए तभी पैसे दीजिए, नहीं तो मत दीजिए। तो अगर आपको यह फिल्म पसंद आती है तो आप अपनी सामर्थ्य के अनुसार जो भी योगदान देना चाहें, दे दीजिए। जिस वेबसाईट पर आपको भुगतान करना है, उसका लिंक नीचे डिसक्रिप्शन में दिया हुआ है। – विपुल के रावल।”
विपुल के रावल, टोनी फिल्म के लेखक, निर्माता और निर्देशक हैं। आगे बात करने से पहले ज़रा इस इनके बारे में जान लेते हैं। यह जानना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इसी में हिंदी सिनेमा उद्योग का स्याह और वीभत्स चेहरा भी दिखेगा और यह भी पता चलेगा कि इस चकाचौंध भरी मायानगरी में माफियागिरी भी जम के चलती है और यह आज से नहीं बल्कि अनंतकाल से है, जिसके शिकार कई बेहतरीन फिल्म बनाने वाले और कई बेहतरीन फ़िल्में होतीं आईं हैं। विपुल की पहचान मूलतः एक लेखक की है और वो अब तक इकबाल, रुस्तम, बिजली गुल मीटर चालू और मुंबई वाराणसी एक्सप्रेस नामक फिल्म लिख चुके हैं। सन 2019 में विपुल एकदम नए कलाकारों को लेकर एक रहस्य और रोमांच से भरी फिल्म बनाते हैं – टोनी। इसमें कुछ टीवी के चेहरे होते हैं, कुछ प्रादेशिक सिनेमा के; और तो और चौबीस ऐसे चेहरे होते हैं जिन्होंने पहली बार कैमरा का सामना किया है। इस लिहाज से यह फिल्म बहुत शानदार नहीं तो बुरी भी नहीं है।
टोनी फिल्म बनकर तैयार हो जाती है लेकिन फिल्म के अभिनेताओं में कोई बड़ा स्टार और अश्लीलता, नाच-गाने और रोमांस न होने के कारण कोई भी वितरक इस फिल्म को प्रदर्शित करने में अपनी रूचि नहीं दिखाता है। आख़िरकार विपुल तय करते हैं कि इसे सिनेमा महोत्सवों में भेजा जाए ताकि वहां से इस फिल्म को थोड़ी चर्चा हासिल हो और इसके रिलीज़ होने का रास्ता साफ़ हो। फिल्म जागरण फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित होती है और इसकी चर्चा शुरू होती है। आगे की कहानी ख़ुद विपुल एक विडिओ जारी करके सुनाते हैं कि – एक दिन उन्हें एक बड़े स्टार के यहां बुलाया जाता है और इस फिल्म को डिलीट मार देने की सलाह दी जाती है। बदले में उनको यह प्रलोभन दिया जाता है कि इसी विषय को कुछ बड़े स्टार या स्टार के बच्चे के साथ बनाओ और साथ ही उनके बैनर की दो और फिल्म निर्देशित करने का (यानि कि पांच साल में कुल तीन फिल्म) भी प्रस्ताव उन्हें मिलता है। विपुल इसके लिए तैयार नहीं होते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि इस फिल्म के लिए सबने बहुत ही कम राशि में ख़ूब मेहनत से काम किया है। विपुल उस बड़े स्टार की बात नहीं मानते और इस फिल्म के प्रदर्शित होने के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं, और आख़िरकार एक नए बिजनेश मॉडल के साथ मात्र 75 लाख की लागत वाली इस फिल्म को वो यूट्यूब पर प्रदर्शित करते हैं। बहरहाल, फिल्म यूट्यूब पर उपलब्ध है और चुकी इस फिल्म में रहस्य और रोमांच इसलिए फिल्म के बारे में ज़्यादा कुछ कहने का अर्थ है मज़ा किरकिरा कर देना लेकिन इतना अवश्य ही कहा ही जा सकता है कि यह फिल्म हिंदी सिनेमा के कूड़ेदान से अलग है और ऐसी फिल्मों के पक्ष में खड़ा होना एक फिल्मची का दायित्व भी बनता है। वैसे भी रूप से ज़्यादा गुण की आराधना होनी चाहिए लेकिन होती नहीं है तो कहीं न कहीं कुछ गुनाह हमारा भी है।
‘टोनी’ फिल्म YouTube पर उपलब्ध है।
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