कुल आठ भागों में विभक्त नेटफ्लिक्स पर इथॉस (टीवी सीरीज) आजकल ख़ूब चर्चा में है। जिस प्रकार भारत में अ शुटेबल बॉय से कुछ लोगों को आपत्ति है ठीक उसी प्रकार टर्की में इस सिरीज़ से कुछ लोगों ने आपत्तियां दर्ज़ की हैं क्योंकि उनकी भावनाएं आहात (!) हो गई हैं! वैसे मूल बात यह है कि इनका भावना आदि से बहुत ही कम लेकिन राजनीति से बहुत ही ज़्यादा लेना देना होता है। आजकल कुछ लोग पूरी दुनिया में उग आए हैं जो भावना की आंच पर राजनीति की रोटियां सेंकते हैं और उन्हें हर उस चीज़ से आपत्ति होती है जो उनके कुंद ज़ेहन की समझ, सोच और राजनीति से थोड़ा सा भी इतर हो। यह पूरी सिरीज़ ख़ुद मैं भी इसी खोज में देखता रहा कि देखें इथॉस में वो जगह कहां है, जो आपत्तिजनक है। मुझे वो जगह न इथॉस में मिली ही नहीं लेकिन उसके चक्कर में एक बेहतरीन और नवाचारी सिरीज़ देखने का शानदार एहसास ज़रूर हाथ लगा। वैसे यह हाय तौबा न मचता तो शायद ही मेरे जैसे लोगों का ध्यान इथॉस पर जाता या जाता भी तो थोड़ी देर से शायद जो लोग भी जानते है वो यह बात भलीभांति जानते हैं कि इस्ताम्बुल दुनिया के शानदार शहरों में से एक है और इसका एक जानदार सांस्कृतिक इतिहास भी रहा है। कई सारी संस्कृतियां यहां आकर एकाकार होती हैं।

इथॉस (टीवी सीरीज) के केंद्र में इसी शहर के कुछ चरित्र हैं जो अलग-अलग परिवारों, हैसियत और परिवेश से होते हुए भी कहीं न कहीं एक दुसरे से सम्बंधित हैं और हर किसी के भीतर बहुत कुछ दबा हुआ सा है और यही दबाव उसको संचालित करता है। वैसे तो वो नॉर्मल है लेकिन फिर भी नार्मल नहीं हैं और अपने भीतर के जज़्बातों को दबाकर जीने को अभिशप्त हैं और यही वो बात है जिसने सबकुछ तहस-नहस करके रख दिया है और एक बार जब कथार्सिस होता है तो ठीक वैसा ही आराम मिलता है जैसा कि तब मिलता है जैसे कोई सदियों पुराने घाव से मवाद निकल गया हो। आज लगभग हर इंसान इस दौर से गुज़र रहा है, कुछ कोप्ता है और कुछ को पता नहीं है, यह बात और है! बाक़ी इस सिरीज़ के बारे में कुछ और बताने का अर्थ है इसकी परत को खोल देना और एक बार जब परत खोल दी जाए तो इसे देखने का मज़ा जाता रहेगा; इसलिए अब बस कुछ तकनीकि जानकारी और।
टर्की में इथॉस (टीवी सीरीज) का नाम बीर बश्कदीर है, जिसका अर्थ होता है इज़ समथिंग एल्स। यह नाम इथॉस (प्रकृत्ति) से ज़्यादा अर्थवान है और यह सिरीज़ सच में कुछ और ही बारे में ज़्यादा है, जिसेने आजतक इंसान को एक सामान्य जीव के स्थान पर विभिन्न चीज़ों के चक्कार में घनचक्कर बना रखा है और हद तो यह कि इंसान इन चीज़ों पर आज भी आंख मूंदकर विश्वास करता है। यह समथिंग एल्स को तार्किक ढंग से समझने की ज़रूरत है वरना इंसान इंसान न होकर पता नहीं क्या-क्या ढ़ोने की एक मशीन बनकर रह जाएगा। अनगिनत सदियों से देश और दुनिया की एक से एक बड़ी-बड़ी ताक़तें इंसान को इंसान के अलावा कुछ और बनाने पर बड़ी ही शातिराना ढंग से काम कर भी रही है! बेर्कुन ओया लिखित व निर्देशित यह सिरीज़ बहुआयामी है और इसे अभिनेताओं के बेहतरीन काम और सम्पादक के बेहतरीन सम्पादन के लिए भी देखना चाहिए। सिरीज़ में टर्किश संगीतकार और गायक फिर्दी ओज्बेगेन (1941-2013) के गीत-संगीत का समवेश इसे टर्किश आवाम के लिए एक भावनात्मक जुड़ाव प्रस्तुत करता है। यह सिरीज़ टर्की के लिए किसी ताज़ा हवा के झोंके के सामान है।
इथॉस (टीवी सीरीज) Netflix पर उपलब्ध है।
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